Thursday, January 21, 2016

चाय जैसा पानी पिया, चाय जैसा पानी

अष्टभुजा शुक्ल
जीवन वृत्तान्त

-अष्टभुजा शुक्ल

उठाया ही था पहला कौर
कि पगहा तुड़ाकर भैंस भागी कहीं और

पहुंचा ही था खेत में पानी
कि छप्पर में आग लगी,बिटिया चिल्लानी

आरंभ ही किया था गीत का बोल
कि ढोलकिया के अनुसार फूट गया ढोल

घी का था बर्तन और गोबर की घानी
चाय जैसा पानी पिया, चाय जैसा पानी

मित्रों ने मेहनत से बनाई ऐसी छवि
चटक और दबावदार कविता का कवि

एक हाथ जोड़ा तो टूट गया डेढ़ हाथ
यही सारा जीवन वृत्तांत रहा दीनानाथ !

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