Monday, February 8, 2016

दुनिया ख़त्म भी हो रही होगी मुझे पता तक नहीं चलेगा

ब्राज़ील की कवयित्री आदेलिया प्रादो की कविता के बारे में विख्यात आलोचक कार्लोस ड्रमंड ने कहा है : "आदेलिया कविताओं का निर्माण वैसे करती हैं जैसे कुदरत मौसमों का करती है." आज से कबाड़खाने पर आदेलिया प्रादो की कविताओं के अनुवाद पेश किये जाएंगे -


आदेलिया प्रादो

एक लड़की का ख़त

-आदेलिया प्रादो

 

जोनाथन

कुछ नाज़ियों को हम पर शक हो गया है.

उस कमीज़ को पहन लेना जो मुझे इस कदर नापसंद है

- बाज़ार मोरक्को में खरीदी थी जो –

और इस तरह आना जैसे कि तुम मेरा शावर ठीक करने आए हो.

इस बात का फ़ायदा उठा लेना कि मेरे माँ-पिता

लाज़ेआदो में कीता आंटी से मिलने मंगलवार को जा रहे हैं .

अगर उनका इरादा बदलता है तो मैं एक ख़त और भेजूंगी.

बगैर छाते के आना, बारिश हो रही हो तब भी.

एमीलियो अंकल अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहे जिन्हें मालूम है कि मैं तुमसे मिलती हूँ

मगर वे वैसा जताते नहीं, और तुम्हारे लिए रोज़ नए-नए नाम खोजते रहते हैं.

उस दिन पशुपालकों के मेले में तुमने मुझसे जो कहा था

अब तक बजता है मेरे कानों में संगीत की तरह:

“मैं तुम्हारे बारे में सोचना बंद नहीं कर पाता.”

मैं भी नहीं कर पाती, जोनाथन.

 

मंगलवार को दो बजे मिलते हैं.

जब, अगर दुनिया ख़त्म भी हो रही होगी

मुझे पता तक नहीं चलेगा.

 

उदासी में,


एंटोनिया

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