Monday, February 8, 2016

तुम्हें बेहतर बनाना है कोरे पन्ने को

5 सितम्बर 1914 को जन्मे निकानोर पार्रा (पूरा नाम निकानोर सेगून्दो पार्रा सानदोवाल) दक्षिण अमेरिका  के सबसे प्रभावशाली कवियों में शुमार हैं. वे गणित और भौतिकी के विद्वान भी माने जाते हैं. बहुत से आलोचक उन्हें स्पानी साहित्य का सबसे महत्वपूर्ण कवि मानते हैं. प्रतिकविता के हामी और एक हद तक सनकी पार्रा रोज़मर्रा की काव्य-सज्जा और फिक्शन को घनघोर नापसंद करते हैं. अपने हर काव्यपाठ के बाद वे श्रोताओं से कहते हैं – “मैं अपनी कही हर बात वापस लेता हूँ.”

युवा कवियों को संबोधित उनकी इस कविता का अनुवाद हमारे समय के महत्वपूर्ण कवि नीलाभ ने किया है.

शतायु कवि निकानोर पार्रा
युवा कवि

-निकानोर पार्रा


चाहे जैसा लिखो,
जो भी शैली तुम्हें पसन्द हो, अपना लो
बहुत ज़्यादा ख़ून बह चुका है
पुल के नीचे से
यह मानते रहने के लिए
कि सिर्फ़ एक ही रास्ता सही है
कविता में हर बात की इजाज़त है
शर्त बस यही है
तुम्हें बेहतर बनाना है कोरे पन्ने को

नोट: इसी विषय पर फ़िलिस्तीनी महाकवि महमूद दरवेश की एक कविता कबाड़खाने पर यहाँ पढ़ी जा सकती है - कविता हमेशा अधूरी होती है, तितलियां पूरा करती हैं उसे

No comments: