अलबर्ट आइनश्टाइन एक बार फिर सही साबित हुए. मानव इतिहास में पहली बार वैज्ञानिकों ने उन गुरुत्वीय तरंगों को खोज निकाला है जिनके बारे में एक शताब्दी पहले खिचड़ी बालों वाले उस मुच्छड़ बूढ़े ने कयास लगाया था. आइनश्टाइन के सापेक्षता के सिद्धान्त पर अंतिम प्रामाणिक मोहर लगाती यह खोज उनकी महाप्रतिभा को संसार का सलाम है.
यह खोज न केवल भौतिकविज्ञान के सबसे
मूलभूत सिद्धांतों में से एक को सही ठहराती है, इसके बाद खगोलशास्त्र की दुनिया
में क्रान्ति तक संभव है. चूंकि गुरुत्वीय तरंगें अपने स्रोत से सम्बंधित
जानकारियाँ अपने साथ लेकर चलती हैं, इनके खोज लिए जाने के बाद अब शोधार्थी ब्रह्माण्ड
के सुदूरतम गूढ़ रहस्यों का अध्ययन और आसानी से कर सकेंगे.
एरीज़ोना स्टेट यूनिवर्सिटी के लॉरेंस क्रॉस का कहना है – “ब्रह्माण्ड का
अध्ययन इक्कीसवीं सदी का खगोलशास्त्र होगा. यह समूचे ब्रह्माण्ड को देखने के लिए
एक बिलकुल नई खिड़की के खुलने जैसा है.”
ये तरंगें कोई 1.3 बिलियन वर्ष पहले अस्तित्व में आई थीं जब दो ब्लैक होल एक दूसरे
के करीब आये थे और धरती पर बहुकोशीय जीवन का प्रसार होना शुरू हुआ था. प्रकाश की
गति से यात्रा करती ये तरंगें हमारे ग्रह पर सितम्बर में पहुँचीं.
इन तरंगों का स्रोत अन्तरिक्ष में दो विशाल पिंडों की गति में बताया गया है जैसे
न्यूट्रान स्टार या एक दूसरे की परिक्रमा करते दो ब्लैक होल. इस प्रक्रिया को नीचे
दिए गए चित्रों की मदद से समझा जा सकता है –
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