हिज़ मास्टर्स वॉइस यानी
एच. एम. वी.
के कुत्ते को आप सब ने देखा होगा. आज आपको इसकी
कहानी बताई जाए.
सबसे पहली बात तो यह कि
यह लोगो एक असल पालतू कुत्ते की एक पेंटिंग पर आधारित है. और इस कुत्ते का नाम हुआ करता था - निपर. 1884 में इंग्लैण्ड के ग्लोस्टर के ब्रिस्टल में
जन्मे निपर को यह नाम इस लिए दिया गया था कि वह अपने घर आने वाले लोगों की टांगों के
पीछे दांत लगा दिया करता था यानी उनकी टांगों को अंग्रेज़ी में ‘निप’ किया करता था. उसके स्वामी
का नाम था मार्क बारौड. 1887 में मार्क की मृत्यु हो गयी और निपर
को मार्क के पेंटर भाई फ्रांसिस ने अपने साथ लंकाशायर के लिवरपूल ले जाना पड़ा.
रेकॉर्ड प्लेयर यानी फोनोग्राफ
को निपर ने सबसे पहले लिवरपूल में ही देखा. जब भी फ़ांसिस किसी रेकॉर्ड को बजाते तो निपर हैरत में उस मशीन को देखने लगता
कि आवाज़ आ कहाँ से रही है. यह छवि फ्रांसिस के मन में गहरे दर्ज
हो गयी होगी क्योंकि निपर की मरने के तीन साल बाद उन्होंने निपर का वह चित्र बनाया
जिसने दुनिया हर में इस कदर ख्याति पानी थी. निपर सितम्बर 1895
में अल्लाह का प्यारा हुआ था. निपर विशुद्ध नस्ल
का तो नहीं था पर उसके भीतर बुल टेरियर प्रजाति के पर्याप्त जींस थे. चूहों और मुर्गियों के पीछे भागने का शौकीन निपर दूसरे कुत्तों से लड़ने में
भी खासा आगे रहता था. 1898 में फ्रांसिस ने उसकी पेंटिंग तैयार
की और अगले साल 11 फरवरी को उसे ‘डॉग लुकिंग
एट एंड लिसनिंग टू अ फ़ोनोग्राफ़’ के नाम से पंजीकृत कराया.
निपर की पहली पेंटिंग |
निपर की पेंटिंग बनाते फ्रांसिस बारौड |
फ्रांसिस ने बाद में पेंटिंग
का नाम ‘हिज़ मास्टर्स वॉइस’ कर दिया और उसे रॉयल एकेडमी में प्रदर्शित करने की कोशिश कीं पर उसके प्रस्ताव
को माना नहीं गया. बाद में उसने उसे पत्रिकाओं को बेचने का प्रस्ताव
दिया. पत्रिकाओं में इस चित्र को टाइटल मिला - ‘नो वन नोज़ व्हाट द डॉग वॉज़ डूइंग’.
इसके बाद फ्रांसिस ने सिलिंडर
फोनोग्राफ बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी यानी द एडीसन बेल कंपनी को इस पेंटिंग को बेचने
की कोशिश की पर कामयाबी न मिली. कम्पनी
का जवाब था – “कुत्ते फोनोग्राफ नहीं सुनते.”
सुनहरे हॉर्न के साथ नयी पेंटिंग |
फ्रांसिस को सलाह दी गयी
कि वह फोनोग्राफ के हॉर्न के रंग को काले से सुनहरा बना दे ताकि उसे बेचना आसान हो
सके. इस बात को ध्यान में रखे वह इस
पेंटिंग का एक फोटो लेकर 1899 की गर्मियों में एक नई ग्रामोफोन
कंपनी के पास गया. उसके बाद जो कुछ हुआ वह एक इतिहास है.
2 comments:
भई वाह,बचपन में किसी ने पूछा था कि एचएमवी के लोगो में जो स्पीकर में घुस कर सुनने की कोशिश कर रहा है वो मेल है अथवा फीमेल? तब पता चला कि मेल है। बेहतर जानकारी हम तक पहुँचानं के लिये आपका शुक्रिया।
भई वाह,बचपन में किसी ने पूछा था कि एचएमवी के लोगो में जो स्पीकर में घुस कर सुनने की कोशिश कर रहा है वो मेल है अथवा फीमेल? तब पता चला कि मेल है। बेहतर जानकारी हम तक पहुँचानं के लिये आपका शुक्रिया।
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