Wednesday, March 9, 2016

ये मोहब्बत की नज़्म है

गुस्ताव क्लिम्ट की पेंटिंग 'द किस'
ये मोहब्बत की नज़्म है
-ज़ीशान साहिल

ये मोहब्बत की नज़्म है
इसे पानी पे लिखना चाहिए
या किसी कबूतर के पैरों से बांधकर
उड़ा देना चाहिए
या किसी ख़रगोश को
याद करा देना चाहिए
या फिर किसी पुराने पियानो में
छुपा देना चाहिए

ये मोहब्बत की नज़्म है
इसे बालकनी में नहीं पढ़ना चाहिए
और खुले आसमान के नीचे
याद नहीं करना चाहिए
इसे बारिश में नहीं भूलना चाहिए

और आँखों से ज़्यादा करीब नहीं रखना चाहिए

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