(यह पोस्ट मेरे अज़ीज़ मित्र प्रशान्त चक्रवर्ती द्वारा साझा किये गए एक आलेख पर आधारित है जिसे उन्होंने अपने बेहतरीन अड्डे ह्यूमैनिटीज़ अंडरग्राउंड में हाल में लगाया था. शुक्रिया प्रशान्त. सभी फोटो http://www.patnabeats.com/ से साभार)
भारत के सबसे गरीब
राज्यों में से एक माने जाने वाले बिहार के एक सुदूर गाँव सुजाता में निरंजन पब्लिक वेलफेयर स्कूल
हर साल वॉल आर्ट फेस्टिवल यानी दीवारों पर चित्रकारी का उत्सव आयोजित करता है.
भारत और जापान के नामी-गिरामी कलाकार स्कूल की दीवारों को कैनवस की तरह इस्तेमाल
करने के लिए इस गाँव में आते हैं और तीन सप्ताह वहां ठहरते हैं. इस दौरान ये
कलाकार बच्चों के साथ बातचीत करते हैं और उनके साथ कार्यशालाएं भी आयोजित करते
हैं. इस के आयोजकों को उम्मीद है कि कला और संस्कृति के आदान-प्रदान के माध्यम से यह
कार्यक्रम गरीबी, अशिक्षा और रोज़गार जैसी मुश्किलों से लड़ने में मददगार साबित
होगा.
इसकी शुरुआत 2006 में
हुई थी जब टोक्यो गाकूगेई यूनिवर्सिटी के पचास छात्रों ने भारत के एक एन.जी.ओ. में
काम करने के एवज में मिली रकम को बोधगया के निकट स्थित निरंजन पब्लिक वेलफेयर
स्कूल की नई इमारत के निर्माण के लिए डोनेट कर दिया था. क्षेत्र में शिक्षा की
शोचनीय स्थिति को देखते हुए इस स्कूल की शुरुआत की गयी थी. विदेशों से मिलने वाली
छिटपुट सहायता और अध्यापकों और वालंटियरों की मदद से इस स्कूल ने तरक्की करना शुरू
किया और 2010 तक यहाँ नरसरी से सातवीं क्लास के बीच कोई चार सौ बच्चे पढ़ रहे थे.
वॉल आर्ट फेस्टिवल के
बाद स्कूल की कुछ दीवारें कैसी दिखती हैं, आपको दिखा रहा हूँ -
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