Monday, July 25, 2016

मुझे बतलाओ क्या कुछ भी और करने को बचा हुआ है अब - राफ़ाल वोयात्चेक की कवितायेँ - 1

राफ़ाल वोयात्चेक का जन्म १९४५ में पोलैंड के एक सम्मानित परिवार में हुआ था. ११ मई १९७१ को मात्र छब्बीस साल की आयु में आत्महत्या कर चुकने से पहले राफ़ाल ने तकरीबन दो सौ कविताएं लिखीं, जिन्हें चार संग्रहों की शक्ल में प्रकाशित किया गया. कुछ कविताएं उसने छ्द्म स्त्रीनाम से भी लिखीं. उसकी पढ़ाई बहुत बाधित रही और ताज़िन्दगी वह अल्कोहोलिज़्म और डिप्रेशन का शिकार रहा. उसने कविता लिखना तब शुरू किया था जब पोलैंड के युवा कवियों को यह भान हो गया था कि उनका देश एक झूठे और भ्रष्ट राजनैतिक सिस्टम में फंस चुका है. राफ़ाल की कविताएं तत्कालीन पोलैंड की राजनीति और सामाजिक परिस्थिति को एक सार्वभौमिक अस्तित्ववादी त्रासदी के स्तर पर देखती हैं. मोहभंग, व्यक्तिगत भ्रंश, और मृत्यु के प्रति ऑब्सेशन उसकी कविताओं की आत्मा में है.

पोलैंड के मिकोलो क़स्बे में, जहां वह जन्मा था - हाल ही में उसके नाम पर एक संग्रहालय का उद्घाटन किया गया है, बीसवीं सदी की महान पोलिश कविता में जीवन भर अभिशप्त रहे इस उल्लेखनीय युवा कवि को बहुत लाड़ के साथ याद किया जाता है. 


शब्दज्ञान 

- राफ़ाल वोयात्चेक

मेरा शब्दज्ञान इतना सीमित है! 'उम्मीद' का शब्द 'कल'
केवल तुमसे जुड़ा हुआ है
'प्रेम' नाम का शब्द मेरी जीभ को छका दिया करता है और
ख़ुद को 'भूख' शब्द के अक्षरों से नहीं बना पाता.

दुख ने मुझे भर दिया है साहस से, जाता हूं अब तुम्हारे ख़्वाबों को छोड़कर,
निराशा में मैंने अपने सपने को भींचा हुआ है अपने ही दांतों से
मुझे बतलाओ - क्या कुछ भी और करने को बचा हुआ है अब
जबकि खु़द 'मृत्यु' भी अपने कार्यों को ज़बान नहीं दे पा रही?

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