कवि
के बारे में एक गीत
-राफ़ाल वोयात्चेक
-राफ़ाल वोयात्चेक
क्योंकि
उसे हमेशा पीटा जाता है किसी बच्चे की तरह -
इस कला के बारे में कुछ न जानता हुआ कवि,
अपनी कविताओं की मुठ्ठी भींच लेता है और उन्हें पीटना शुरू करता है.
वह एक स्त्री को पीटता है क्योंकि वह ख़ुद को साफ़ रखती है
अपने मुंहांसों को बढ़ने नहीं देती और मेकअप करती है.
वह अपनी पत्नी को पीटता है क्योंकि वह एक स्त्री है.
इसी वजह से वह अपनी मां को पीटता है.
वह अपने पिता को पीटता है क्योंकि वे उसकी मां के साथ हैं.
वह जल्दबाज़ उपमाओं के साथ थूकता है अधिकारियों पर.
अपने छन्दों से वह तोड़ डालता है खिड़कियां, और तनाव
की एक लात से वह गर्भ के भीतर एक भ्रूण के सिर को
घायल कर देता है, ताकि मां अपने बच्चे को
उसकी उस मूर्खता से न पहचान पाए जिसे लेकर वह पैदा होगा.
कवि करता है और भी बहुत सारे काम
मगर तब वह कवि नहीं होता.
इस कला के बारे में कुछ न जानता हुआ कवि,
अपनी कविताओं की मुठ्ठी भींच लेता है और उन्हें पीटना शुरू करता है.
वह एक स्त्री को पीटता है क्योंकि वह ख़ुद को साफ़ रखती है
अपने मुंहांसों को बढ़ने नहीं देती और मेकअप करती है.
वह अपनी पत्नी को पीटता है क्योंकि वह एक स्त्री है.
इसी वजह से वह अपनी मां को पीटता है.
वह अपने पिता को पीटता है क्योंकि वे उसकी मां के साथ हैं.
वह जल्दबाज़ उपमाओं के साथ थूकता है अधिकारियों पर.
अपने छन्दों से वह तोड़ डालता है खिड़कियां, और तनाव
की एक लात से वह गर्भ के भीतर एक भ्रूण के सिर को
घायल कर देता है, ताकि मां अपने बच्चे को
उसकी उस मूर्खता से न पहचान पाए जिसे लेकर वह पैदा होगा.
कवि करता है और भी बहुत सारे काम
मगर तब वह कवि नहीं होता.
No comments:
Post a Comment