Thursday, July 28, 2016

कितनी दराज़ें हैं मृत्यु के पास - राफ़ाल वोयात्चेक की कवितायेँ - 4

कितनी दराज़ें
-राफ़ाल वोयात्चेक


कितनी दराज़ें हैं मृत्यु के पास! - पहली में 
वह इकठ्ठा करती है मेरी कविताएं
जिनकी मदद से मैं उसकी आज्ञा का पालन करता हूं

दूसरी में तो निश्चय ही 
उसने सम्हाली हुई है बालों की एक लट
तब से जब मैं पांच साल का था

तीसरी में - रात की मेरी 
पहली दाग़दार चादर
और अन्तिम परीक्षा की मार्कशीट

चौथी में वह रखे है
निषेधाज्ञाएं और प्रचलित कहावतें
"गणतन्त्र के नाम पर"

पांचवीं में समीक्षाएं, विचार
जिन्हें वह उदासी के वक़्त
पढ़ा करती है

उसके पास निश्चय ही एक गुप्त दराज़ होनी चाहिये
जहां सबसे पवित्र वस्तु धरी हुई है
- मेरा जन्म प्रमाणपत्र

और सबसे नीचे वाली, जो सबसे बड़ी भी है
- उसे वह बमुश्किल खोल पाती है -
वह बिल्कुल मेरे नाप की होगी.

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