महाश्वेता देवी (14 जनवरी 1926 – 28 जुलाई 2016). फ़ोटो 'द हिन्दू' से साभार |
बायेन
- शेफाली फ्रॉस्ट
(महाश्वेता
की याद में)
वो रेल
को रोक लेगी हाथ से पकड़
वो सर पीट कर इंजन में
सीटी बजाएगी रात रात
जागो-जागो, जाग जाओ!
पर जायेगी नहीं वापस
वो सर पीट कर इंजन में
सीटी बजाएगी रात रात
जागो-जागो, जाग जाओ!
पर जायेगी नहीं वापस
उसके
सीने की गोल उठान
रो रो कर ढलकेगी घर के कोने कोने में
जहाँ वो नहीं है,
कहाँ गिरा वो सूखा द्रव्य?
रो रो कर ढलकेगी घर के कोने कोने में
जहाँ वो नहीं है,
कहाँ गिरा वो सूखा द्रव्य?
एक
आवाज़ जैसा पेड़
सर-सर कर झुपड़िया पर सूरज सुलगायेगा
वो जला देगी चिड़िया का घोंसला
सांप की टहनी में, अण्डों से भरा,
चीयाँ चीयाँ कर के भागेगा पेड़ से चोंच खोले बच्चा,
गिरेगी खून की दरांती पेड़ की जड़ पर
उतरेगा दूध आँखों में
रात भर की जागी कीचड़ सा,
बच्चा कुनमुनायेगा बिस्तर पर बप्पा के पास
माँ के थन पर उगेगी घास
सर-सर कर झुपड़िया पर सूरज सुलगायेगा
वो जला देगी चिड़िया का घोंसला
सांप की टहनी में, अण्डों से भरा,
चीयाँ चीयाँ कर के भागेगा पेड़ से चोंच खोले बच्चा,
गिरेगी खून की दरांती पेड़ की जड़ पर
उतरेगा दूध आँखों में
रात भर की जागी कीचड़ सा,
बच्चा कुनमुनायेगा बिस्तर पर बप्पा के पास
माँ के थन पर उगेगी घास
रोडवेज़ वाला ड्राइवर
डालेगा खटिया, शराब की दुकान पर,
लहलहाएगी प्यास,
उड़ेगी फस्स से इंजन की गर्मी
फाड़ कर घास निकलेगा ज़मीन से
उस गाँव का इकलौता
मारुआना का पेड़
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