Friday, December 9, 2016

दुनिया के बाजार में सबसे पहले क्या बिका था ?


गुलाम
-रमाशंकर यादव 'विद्रोही'

1.
वो तो देवयानी का ही मर्तबा था,
कि सह लिया सांच की आंच,
वरना बहुत लंबी नाक थी ययाति की.
नाक में नासूर है और नाक की फुफकार है,
नाक विद्रोही की भी शमशीर है, तलवार है.
जज़्बात कुछ ऐसा, कि बस सातों समंदर पार है,
ये सर नहीं गुंबद है कोई, पीसा की मीनार है.
और ये गिरे तो आदमीयत का मकीदा गिर पड़ेगा,
ये गिरा तो बलंदियों का पेंदा गिर पड़ेगा,
ये गिरा तो मोहब्बत का घरौंदा गिर पड़ेगा,
इश्क  और हुश्न  का दोनों की दीदा गिर पड़ेगा.
इसलिए रहता हूं जिंदा
वरना कबका मर चुका हूं,
मैं सिर्फ काशी में ही नहीं रूमान में भी बिक चुका हूं.

हर जगह ऐसी ही जिल्लत,
हर जगह ऐसी ही जहालत,
हर जगह पर है पुलिस,
और हर जगह है अदालत.
हर जगह पर है पुरोहित,
हर जगह नरमेध है,
हर जगह कमजोर मारा जा रहा है, खेद है.
सूलियां ही हर जगह हैं, निज़ामों की निशान,
हर जगह पर फांसियां लटकाये जाते हैं गुलाम.
हर जगह औरतों को मारा-पीटा जा रहा है,
जिंदा जलाया जा रहा है,
खोदा-गाड़ा जा रहा है.
हर जगह पर खून है और हर जगह आंसू बिछे हैं,
ये कलम है, सरहदों के पार भी नगमे लिखे हैं.

2.
आपको बतलाऊं मैं इतिहास की शुरुआत को,
और किसलिए बारात दरवाजे पर आई रात को,
और ले गई दुल्हन उठाकर
और मंडप को गिराकर,
एक दुल्हन के लिए आये कई दूल्हे मिलाकर.
और जंग कुछ ऐसा मचाया कि तंग दुनिया हो गई,
और मरने वाले की चिता पर जिंदा औरत सो गई.
और तब बजे घडि़याल,
पड़े शंख-घंटे घनघनाये,
फौजों ने भोंपू बजाये, पुलिस भी तुरही बजाये.
मंत्रोच्चारण यूं हुआ कि मंगल में औरत रचती हो,
जीते जी जलती रहे जिस भी औरत के पति हो.

3.
तब बने बाज़ार और बाज़ार में सामान आये,
और बाद में सामान की गिनती में खुल्ला बिकते थे गुलाम,
सीरिया और काहिरा में पट्टा होते थे गुलाम,
वेतलहम-येरूशलम में गिरवी होते थे गुलाम,
रोम में और कापुआ में रेहन होते थे गुलाम,
मंचूरिया-शंघाई में नीलाम होते थे गुलाम,
मगध-कोशल-काशी में बेनामी होते थे गुलाम,
और सारी दुनिया में किराए पर उठते गुलाम,
पर वाह रे मेरा जमाना और वाह रे भगवा हुकूमत!
अब सरे बाजार में ख़ैरात बंटते हैं गुलाम.

लोग कहते हैं कि लोगों पहले ऐसा न था,
पर मैं तो कहता हूं कि लोगों कब, कहां, कैसा न था ?
दुनिया के बाजार में सबसे पहले क्या बिका था ?
तो सबसे पहले दोस्तों ... बंदर का बच्चा बिका था.
और बाद में तो डार्विन ने सिद्ध बिल्कुल कर दिया,
वो जो था बंदर का बच्चा,

बंदर नहीं वो आदमी था.

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