एक रंगीन चादर ऐसी भी
- रोहित उमराव
भारत के मानचित्र में उत्तर
प्रदेश जिले का यह कस्बा कोड़ा जहानाबाद अपनी ऐतिहासिकता के लिए विख्यात है. गंगा
यमुना के दोआब में जहानाबाद रिन्ध नदी के तट पर आसीत है. यहां की मिट्टी अत्यंत
उपजाऊ है. दलहन, तिलहन और मोटे अनाज की
सभी फसलों की यहां अच्छी पैदावार होती है.
मसालों में प्रयोग होने वाली लाल
मिर्च की बात ही कुछ और है. यही नहीं नमकीन दालमोठ के लिए प्रयोग की जाने वाली
पीली मिर्च की अपनी अलग खासियतें हैं. व्यापारी किसानों से थोक भाव में गीली लाल
और गीली हरी मिर्च खरीद लेते हैं. गीली मिर्च को मैदानों में धूप की सेंक देकर
सुखाया जाता है.
यह नज़ारा काफी दर्शनीय होता है. दूर तक धरती रंगीन दिखाई देती है.
एक सेंक के बाद अच्छी और खराब मिर्च की छंटनी की जाती है. इस काम में
बड़े-बूढे़-बच्चे सभी मिलकर लगते हैं. छंटाई होने के बाद दोबारा मिर्च को खलिहान
में फैलाकर अच्छे से सुखाया जाता है ताकि नमी बिल्कुल न रह जाय. पूरी तरह से सूखी
मिर्च को चादर में भरकर हवा में उछालकर ढेर में फेंका जाता है. ताकि उसमें मिट्टी
और धूल के कण छिपे न रह जायं.
इसके बाद नकुनेदार मिर्च पटना मिर्च और नकुना टूटी
सनौर मिर्च को अलग-अलग कर जूट के बोरों में दबा-दबा कर पैक किया जाता है. पैकिंग
के बाद मिर्च के बोरों को आगरा, लखनऊ, कानपुर,
दिल्ली, मुम्बई आदि बड़े शहरों में बिक्री के
लिए भेज दिया जाता है.
तस्वीरें पेश हैं -
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