Friday, April 14, 2017

उन्हें नहीं पता था कि उनकी हत्या होगी

Zan Zezavy की पेन्टिंग 'मर्डर' (1920) 

कविता का रामदास और मेवात के पहलू ख़ाँ
-शिवप्रसाद जोशी

रामदास उस दिन उदास था
लेकिन पहलू ख़ाँ उदास नहीं थे
वो ख़ुश थे कि उन्हें दुधारू गाय मिली थी
और उनकी डेयरी चल निकलनी थी

चौड़ी सड़क थी कोई गली न थी
जहाँ पहलू ख़ाँ को बेटों के साथ रोका गया
मारा गया
मारते गये वे रक्षक उन्हें
नरभक्षी आ गये बाबा
बेटे के मुँह से निकला
नहीं नहीं मेरे बेटे के मुँह से
पहलू ख़ाँ का बेटा तो तब बेहोश था.

दिन का समय था घनी बदरी नहीं थी
पसीना पौंछते हुए पहलू ने फिर से टटोले क़ाग़ज़
रामदास उस दिन उदास था
पहलू ख़ाँ उदास नहीं थे उस दिन
उन्हें नहीं पता था कि उनकी हत्या होगी.

(रघुबीर सहाय की एक कविता “रामदास” से प्रेरित)


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