Thursday, June 15, 2017

ल्यों पेरो के चित्र - 1

ल्यों पेरो (१८३२-१९०८)
ल्यों-ज्यां-बासील पेरो का जन्म फ्रांस में २० जून १८३२ को एक बेहद निर्धन परिवार में हुआ था. अपने लड़कपन में वे कुछ भी ऐसा करने की सोचते थे जिससे उनके परिवार की दरिद्रता दूर हो सके. तमाम नाकामयाब प्रोजेक्ट्स के बाद उन्होंने एक चित्रकार के तौर पर अपना करियर बनाने का फैसला लिया.

चौदह साल की आयु में उन्होंने अपने गृहनगर पोतीएर में ड्राइंग की कक्षाओं में जाना शुरू किया. उनकी विलक्षण प्रतिभा को एक स्थानीय चित्रकार ने नोटिस किया और ल्यों को पोतीएर के पुराने चर्चों में लगी पेन्टिंग्स और म्यूरल्स के संरक्षण के काम पर रख लिया.  १८५१ में उन्होंने एक ड्राइंग प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और पहला स्थान हासिल किया. उनकी पुरुस्कृत ड्राइंग को सरकार ने अपने संग्रह के लिए खरीद लिया. दो साल बाद उनके अपने नगर ने उनके लिए ६०० फ्रैंक की पेंशन बाँध दी ताकि वे पेरिस जाकर अपनी कला को निखार सकें.

एक सिफारिशी ख़त की मदद से उन्हें उस समय के बड़े चित्रकार फ्रांसुआ एदुआर्द पीको (१७८६-१८६८) के साथ औपचारिक कला-शिक्षा पाने का पहला अवसर मिल गया. पेरो ने वहां अनेक बड़े नामों के साथ काम किया. इस प्रशिक्षण ने उनके भीतर धार्मिक और मिथकीय विषयों के प्रति गहरा अनुराग पैदा किया.

१८६० की अपनी पहली एकल प्रदर्शनी के बाद पेरो उन्नीसवीं सदी के फ्रांस के बड़े पेंटरों में शुमार किये जाने लगे.











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