Friday, October 20, 2017

रोटी हाथों में स्वतंत्रता की तरह होती है

हाथों में स्वतंत्रता की तरह
- संजय चतुर्वेदी

चाहे वो घर में बन रही हो
या खुले मैदान में
या किसी बनती हुई इमारत के नीचे
पकते हुए आटे की महक
रास्ते रोक लेती है
ठग लेती है भरे पेट वालों को भी
भुला देती है फर्क अच्छे-बुरे का
औकात पर आ जाते हैं सारे खयाल

रोटी हाथों में स्वतंत्रता की तरह होती है
खुशकिस्मत हैं वे

जिनका रास्ता रोटियाँ रोक लेती हैं।

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