Monday, October 23, 2017

बढ़ई भइया पुट्ठे छोल

चूहे
- अष्‍टभुजा शुक्‍ल

खाकर फूले जैसे ढोल
जाने कैसे खुल गई पोल
बिल में कैसे घुसड़ें बोल
बढ़ई भइया पुट्ठे छोल

संविधान की क़समें खाए
धर्मग्रन्थ के पन्ने खाए
नीति कूट अवलेह बनाए
लाज हया सब पी गए घोल!

टू जी थ्री जी खूब डकारे
पचा गए पशुओं के चारे
बड़े बड़े भूखण्ड निगलकर
उगल रहे अब काला कोल

पूँछ पकड़कर मुसहर खींचे
थोड़ा आगे थोड़ा पीछे
गई सुरंग कहाँ तक नीचे
पाजामों के नाड़े खोल

उठ बँसुले तू थू-थू बोल

बढ़ई भइया पुट्ठे छोल

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