कुतुब
मीनार जल रही है
-
इब्बार रब्बी
खिड़की
में कुतुब मीनार
कांच
की आवाज़ के पीछे कुतुब मीनार
डूबता
सूरज कुतुब की चोटी पर अटका है
मीनार
दहक रही है
इतिहास
का गुस्सा
और्ख़
लपट रच रहा है
शिल्प
की टहनी पर सूर्य फूल उगा है
इस
जली कुतुब की मशाल बना लें
हम इस
अतीत को भविष्य-सा उठा लें
अन्धेरे
को रोशनी के नारे-सा उछालें
[1975]
1 comment:
वाह बहुत खूब
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