Friday, December 8, 2017
बीज की तरह सुगबुगाना चाहता हूँ
बीज
-
इब्बार रब्बी
मैं आदिम अंधेरे में
बीज की तरह
सुगबुगाना चाहता हूँ
आकाश और पृथ्वी से बाहर
माँ के गर्भ में
एक बूंद की तरह
आँख मलना चाहता हूँ
मैं एक महान नींद से
भयंकर आनन्द और
विस्मय में जगना चाहता हूँ
[
1976
]
1 comment:
सुशील कुमार जोशी
said...
सुन्दर
December 8, 2017 at 9:10 AM
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सुन्दर
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