Saturday, December 9, 2017

सुबह से कम कुछ भी नहीं


सुबह दे दो
- इब्बार रब्बी

मुझे मेरी सुबह दे दो
सुबह से कम कुछ भी नहीं
सूरज से अलग कुछ भी नहीं
लाल गर्म सूरज
जोंक और मकोड़ों को जलाता हुआ
सुबह से कम कुछ भी नहीं


[1978]