आज इस कबाड़खाने मे बाकायदा तीन नए कबाड़ी अपना माल ले कर आने का वादा कर चुके हैं। दद्दा वीरेन डंगवाल, सिद्धेश्वर सिंह और शिरीष मौर्य का स्वागत है। शिरीष तो आल्लेडी दो दफा माल जमा करा चुके हैं। कबाड़खाने के उस्ताद वीरेन डंगवाल उर्फ़ चचा ने अपनी एक अप्रकाशित कविता छापने की परमीशन दे दी है। थैन्कू डाक्साब। कल देखें यह कविता।
भूपेन भाई से गुजारिश है कि अपना थोडा बहुत मटेरियल हमें भी देवें। अपना ईमेल बता देंगे तो तुरंत न्यौता भेज दिया जाएगा।
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