Thursday, October 4, 2007

येहूदा आमीखाई

दूर होने का दर्द

दूर होने का दर्द
मेरे दिल को एक मीठे फल की तरह काटता है
लेकिन वे अच्छे आंसू कहॉ हैं ?

सवेरे सवेरे
कोहरा ढँक लेता है पहाड़ पर बने घर को
अपने आगोश में
कहते हैं उस घर के लोग
कोहरा ढँक लेता है पूरे संसार को!

वहाँ महान इच्छाएं हैं
मानो कोई जागता हो उस बिछौने पर
जिस पर वह सोया ही नहीं!

दोपहर में मैंने उसे स्टेशन की दुकान से कुछ फूल भेजे
और कुत्ते की तरह ज़ंजीर बंधी एक पेंसिल से लिखे
एक छोटे कार्ड पर
शुभकामना और छूटते हुए प्रेम के शब्द

लेकिन वे अच्छे आंसू कहॉ है?
वे चाबियाँ चेहरों को खोलने की
चाबियों के वे गुच्छे -
वे आंसू कहॉ हैं?

अनुवाद : शिरीष कुमार मौर्य

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