Wednesday, October 17, 2007

पहाड़ी ठेकुआ

लक्ष्मी होकर झाड़ू लगाए, धनपति मांगे भीख
अमर सिंह होकर मर गए, मेरा ठेकुआ नाम है ठीक

3 comments:

Ashok Pande said...

बढ़िया है।

काकेश said...

लक्ष्मी कूटे ओखली,धनपति मांगे भीख
अमर सिंह भी मर गए,म्यॉर ना ठेकुआ ठीक

शायद ऎसा सुना था हो.

आशुतोष उपाध्याय said...

एक और वर्जन:

लक्ष्मी कूटै ओखला धनपत मांगै भीख
अमरसिंह जैसे मर गए, ठेकुआ नाम है ठीक