Saturday, October 6, 2007

चंद्रकांत देवताले की कविता

इस बार राजनीति के कबाड़ से छांट कर देवताले जी की ये कविता लाया हूँ जिसमें बरसों पहले मध्य प्रदेश में हुए टाट पट्टी घोटाले की गूँज है........ ऐसे कवि का और श्यामलाल गुरू जीं का हमारे कबाड़ खाने में स्वागत है....... ध्यान दें कि दिल्ली में अभी विश्व बैंक ने भारत में प्राथमिक शिक्षा पर कोई सेमीनार भी आयोजित किया था।

बच्चों और युवाओं के भविष्य के लिए
बहस में शामिल पिपलोदा के श्यामलाल गुरूजी सोच रहे हैं
इतने बड़े नेक काम के लिए याद किया गया उन जैसा

वे अहोभाग्य समझकर सपनों की टूटी हड्डियाँ
अपने भीतर जोड़ रहे हैं

पूरा राष्ट्र बहस मे में शामिल है
इसलिये इसे राष्ट्रीय बहस कहा गया
और श्यामलाल गुरू जी ने भी दो शब्द कहे
पिपलोदा गाँव की कच्ची पाठशाला में
और सोच खुश हुए - उनके शब्द भी शामिल हुए
मुद्दों के राष्ट्रीय दस्तावेज़ में

श्यामलाल गुरू जी टाट पट्टियों और डस्टर के बारे में
परेशान थे पूरी बहस के दौरान
और महीनों तक देखते रहे थे आसमान में
नयी टाट पट्टियों की उड़ान.


(प्रस्तुति : शिरीष मौर्य )

1 comment:

Unknown said...

Laanat hai in kampyutaron aur unhen iskoolon mein laa dene ke utaaroo logon pe!