Monday, October 8, 2007
बाबा जी की कुटिया
कुटिया में
रहना
तो बाबा का सहना।
(व्याख्या: यदि संसार रूपी कुटिया में जीवन काटना है , हे गिरधर!, तो भगवान रूपी बाबा का सब कुछ सहना होगा।)
*अन्य व्याख्याएँ आमंत्रित हैं।
1 comment:
इरफ़ान
said...
भई वाह
October 8, 2007 at 9:27 AM
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भई वाह
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