Tuesday, October 9, 2007

विएना डायरी से कुछ और

मेरे दोस्त चार्ली ने मुझे रात के खाने पर बुलाया है। साथ ही वह चाहता है मैं उसके दो दास्तों से मुलाकात करूं। मिलने का स्थान एक ईराकी रेस्त्रां में तय किया गया है। एर्न्स्ट फिलहाल ऑस्ट्रिया में खेले जाने वाले परकशन बिलियर्डस का राष्ट्रीय चैम्पियन है और उसकी गर्लफ्रेंड ब्रिगिते इसी खेल की राष्ट्रीय महिला चैम्पियन। दोनों बहुत सलीकेदार हैं और दुनिया भर के बारे में बातें कर सकते हैं। उनके साथ एक टर्कीनिवासी मित्र भी आया है : कासिम।

मार्च 2006 में चार्ली जब भारतयात्रा पर आया था मैंने उसे जमकर नुसरत का संगीत सुनाया था और वह नुसरत का भीषण फैन बनकर वापस लौटा था। ईराकी कैफे की तरफ उसकी कार में जाते समय स्टीरियो पर नुसरत का ‘की करदा नी की करदा’ बजता रहा था और जाहिर है हमारी बातचीत में नुसरत का जिक्र भी आया। कासिम जो अब तक खामोश था नुसरत का नाम आते ही बेहद उत्तेजना के साथ बताने लगता है कि उस के पास नुसरत का बड़ा संग्रह है और वह नुसरत को दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा संगीतकार मानता है। साल में दो बार केरल आने वाला कासिम विएना में आयुर्वेदिक मालिश का एक सफल केन्द्र चलाता है। काफी देर तक संगीत की बात चलती रहती है।


अचानक मैं कासिम से नाजिम हिकमत का नाम लेता हूं।


कासिम मेरे सामने की सीट से उठकर मेरे पास आता है और मेरा हाथ थामकर कहता है : “मैं बीस सालों से हिन्दुस्तान आ रहा हूं पर तुम पहले भारतीय हो जिसने नाजिम का जिक्र किया है।” मैं खड़ा होता हूं और वह मुझे गले से लगाता हुआ कहता हैः “मेरे रोंगटे खड़े हो रहे हैं।” मैं उसे बताता हूं कि नाजिम को मेरे देश में पढ़ने लिखने वाले लोग बहुत प्यार करते हैं। मैं उसे नाजिम की एक कविता के बारे में बताता हूं जिसमें वह खुद को गुल्हान पार्क में गुलाब के एक पौधे की तरह देखता है। जेल से लिखी यह कविता नाजिम अपनी प्रेमिका को समर्पित करता है। कासिम मुझे ठीक करता हुआ कहता है कि सही उच्चारण गुल्हाने पार्क है। फिर वह मुझसे पूछता है कि क्या मैंने इब्राहीम बलबन का नाम सुना है। मेरे हां कहने और यह बताने पर कि नाजिम ने टर्की के इस महान कलाकार के चित्रों पर बाकायदा एक कविता लिखी है वह पगला सा जाता है। बहुत देर तक हम उसके देश की कला पर बहुत अपनेपन के साथ बातचीत करते रहते हैं। इस पूरे समय हमारे साथी ऑस्ट्रियाई मित्र दिलचस्पी के साथ हमारे इस उत्तेजित वार्तालाप का मजा लेते रहते हैं।

दुर्भाग्यवश कासिम ने कहीं जाना है। वह मुझसे वादा करता है कि जल्द ही वह मुझे टर्की के कुछ उन संगीतकारों के टेप ला कर देगा जिन्होंने नाजिम की कविताओं को संगीतबद्ध किया है। टेलीफोन नम्बरों की अदलाबदली और एक और बार गले मिलने के बाद वह विदा लेता है।

ब्रिगिते एक माकेर्टिंग कम्पनी में एक्जीक्यूटिव है। पहले उसकी कम्पनी पेप्सी के साथ काम करती थी पर इधर के दिनों में अब उसका काम भारत की विप्रो के साथ होना तय हुआ है। एक ऑस्ट्रियाई के हिसाब से उसकी अंग्रेजी बहुत शानदार और परिष्कृत है। इन दिनों उसकी कम्पनी के कर्मचारियों को ‘इण्डियन ओरिएन्टेशन’ का कोर्स करवाया जा रहा है यानी भारतीयों के साथ काम करते हुए क्या क्या सावधानियां बरती जानी चाहिए। इस बात को लेकर मैं एक लतीफा छोड़ता हूं और चार्ली अपने ऊपर बीयर का गिलास गिरा लेता है।

एर्न्स्ट जैसा कि मैंने बताया बिलियर्डस का एक पेशेवर खिलाड़ी है। उसका सारा जीवन इसी खेल के गिर्द घूमता रहता है। लेकिन कासिम के जाने के बाद जिस तरह उसने दुनिया भर की किताबों के बारे में बात करनी शुरू की उस से मैं एकबारगी सकपका गया। भौतिकविज्ञान और पाश्चात्य संगीत का वह अच्छा खासा जानकार है और बिलियर्डस पर एक किताब लिख रहा है। मुझे लगा कि वह बिलियर्डस की तकनीक वगैरह पर कोई किताब लिख रहा होगा। उसने बताया कि अगर किसी तरह मोज़ार्ट और आइन्स्टाइन एक ही जगह मिल पाते तो शायद बिलियर्डस की मेज ही उनकी मुलाकात की जगह बनती। शायद यह बात सच भी है। ये दोनों ही जीनियस बार बार बिलियर्डस के खेल और उसकी गेंदों की गति के बारे में इतना सारा लिख कह चुके हैं।



यही उसकी किताब का विषय है।

2 comments:

बोधिसत्व said...

अच्छी पोस्ट.....बधाई

Pratyaksha said...

आनंद आया पढ़कर ।