आज दाखिल हुआ है एक और नया कबाड़ी ,
सब भइयन मिल के चलाएंगे कबाड़खाने की गाड़ी ।
लेखक , अनुवादक और पाठक है अपना यह भाई ,
`अधूरी तस्वीर´ ,`हादसों के बीच´ ,`जरा संभल के चलो`
ऐसी कई किताबें इन्नें लिक्खीं और बनाईं ।
`एनिमल फार्म ´(जार्ज आरवेल ),`
`कानिकल आफ ए डेथ फोरटोल्ड´( मारखेज) आदि -आदि
विश्व प्रसिद्ध कथाकारों का अनुवाद करा है ,
और अभी इनके पास करने को कित्ता सारा काम धरा है ।
`कथाकार ´ अपना मुंबई में रैता है
और अपने प्रोफाइल में खुद के बारे में जे कैता है -
` बंदा लेखक है , अनुवादक है और पाठक है ।
कुछ अरसे से लिखना छूटा हुआ है । शायद
ब्लागिस्तान में आने से शुरू हो जाए ।´
कथाकार सूरज प्रकाश आपके आने - लिखने - लिखाने से `कबाड़खाना ´की दौलत में इजाफा होगा । आपका स्वागत है!
3 comments:
vaah!क्या स्वागत किया है।अच्छा लगा।:(
बिगुल बजाओ गुरु बिगुल.....सच्चा हीरा मिल गया है आपको.
बधाई
नीरज
क्या बात है सूरज जी के यहां आने पर बहुत रैगिंग वैगिंग चल रही है ! प्रसंसकों के दल भी पैले से ही बिराजमान हैं ??
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