Friday, November 16, 2007

बखत बखत की बात है



मुर्गा मारे लात है

... लगी?

4 comments:

Ashok Pande said...

लग भी गई साब, झेल भी ली।

पर्यानाद said...

बहुत जोर से पड़ी. समझ भी गया. अच्‍छा तरीका है भई, लात मार के समझाने का.

चंद्रभूषण said...

इसी वजन का एक छंद मेरी नजर से भी गुजरा है-

औसर परे बिलइया रोए
सड़ा मूस मोरा बूबू टोए

Tarun said...

हमारे को तो लग रहा है, कबाड़खाने को लगी देखिये सारा कबाड़ भी बाहर आ गया है। अरे रे रे, बुरा मत मानियेगा, हमारा मतलब उस कबाड़खाने से है जो फोटुआ में दिख रहा है।