पाब्लो नेरुदा के बाद चिले के सबसे प्रभावशाली कवि निकानोर पार्रा अपनी प्रयोगधर्मिता और कट्टर राजनैतिक प्रतिबद्धता के चलते, दुनिया भर में सम्मानित हैं। यह रहा आधुनिक राजनीति, दकियानूस बौद्धिकता और थोथी बयानबाजी को ठेंगा दिखाती उनकी एक महत्वपूर्ण कविता का अनुवाद:
कुछ इस तरह
पार्रा ठहाका मारता है मानो उसे नरक भेजा जा रहा हो
लेकिन आप बताएं कवियों ने कब नहीं लगाया ठहाका
कम से कम वह दम ठोक कर कह तो रहा है कि वह ठहाका मार रहा है
बीतते जाते हैं साल
बीतते ही जाते हैं
कम से कम वे इस बात का आभास तो देते ही हैं
चलिए मान लेते हैं
हर चीज़ यूं चलती है मानो वह बीत रही हो
अब पार्रा रोना शुरू करता है
वह भूल जाता है कि वह एक अकवि है
बन्द करो दिमाग खपाना
आजकल कोई नहीं पढ़ता कविता
कोई फर्क नहीं पड़ता कविता अच्छी है या खराब
मेरी प्रेमिका मेरे चार अवगुणों के कारण मुझे कभी माफ नहीं करेगी :
मैं बूढ़ा हूं
मैं गरीब हूं
कम्यूनिस्ट हूं
और साहित्य का राष्ट्रीय पुरूस्कार जीत चुका हूं
शुरू के तीन अवगुणों की वजह से
मेरा परिवार मुझे कभी माफ नहीं कर सकेगा
चौथे की वजह से तो हर्गिज़ नहीं
मैं और मेरा शव
एक दूसरे को बहुत शानदार तरीके से समझते हैं
मेरा शव मुझसे पूछता है : क्या तुम भगवान पर भरोसा करते हो
और मैं दिल की गहराई से कहता हूं : नहीं
मेरा शव मुझसे पूछता है : क्या तुम सरकार पर भरोसा करते हो
और मैं जवाब देता हूं हंसिए हथौड़े के साथ
मेरा शव मुझसे पूछता है : क्या तुम पुलिस पर भरोसा करते हो
और मैं उसके चेहरे पर घूंसा मार कर जवाब देता हूं
फिर वह अपने कफन से बाहर आता है
और एक दूसरे की बांह थामे
हम चल देते हैं वेदी की तरफ
दर्शनशास्त्र की सबसे बड़ी समस्या यह है कि
जूठे बरतन कौन साफ करेगा
यह इसी संसार की बात है
भगवान
सत्य
समय का बीतना
बिल्कुल सही बात
लेकिन पहले बताइए जूठे बरतन कौन साफ करेगा
जो करना चाहे करे
ठीक है फूटते हैं अपन
और लीजिए अब हम दोबारा वही बन चुके : एक दूसरे के दुश्मन।
पार्रा ठहाका मारता है मानो उसे नरक भेजा जा रहा हो
लेकिन आप बताएं कवियों ने कब नहीं लगाया ठहाका
कम से कम वह दम ठोक कर कह तो रहा है कि वह ठहाका मार रहा है
बीतते जाते हैं साल
बीतते ही जाते हैं
कम से कम वे इस बात का आभास तो देते ही हैं
चलिए मान लेते हैं
हर चीज़ यूं चलती है मानो वह बीत रही हो
अब पार्रा रोना शुरू करता है
वह भूल जाता है कि वह एक अकवि है
बन्द करो दिमाग खपाना
आजकल कोई नहीं पढ़ता कविता
कोई फर्क नहीं पड़ता कविता अच्छी है या खराब
मेरी प्रेमिका मेरे चार अवगुणों के कारण मुझे कभी माफ नहीं करेगी :
मैं बूढ़ा हूं
मैं गरीब हूं
कम्यूनिस्ट हूं
और साहित्य का राष्ट्रीय पुरूस्कार जीत चुका हूं
शुरू के तीन अवगुणों की वजह से
मेरा परिवार मुझे कभी माफ नहीं कर सकेगा
चौथे की वजह से तो हर्गिज़ नहीं
मैं और मेरा शव
एक दूसरे को बहुत शानदार तरीके से समझते हैं
मेरा शव मुझसे पूछता है : क्या तुम भगवान पर भरोसा करते हो
और मैं दिल की गहराई से कहता हूं : नहीं
मेरा शव मुझसे पूछता है : क्या तुम सरकार पर भरोसा करते हो
और मैं जवाब देता हूं हंसिए हथौड़े के साथ
मेरा शव मुझसे पूछता है : क्या तुम पुलिस पर भरोसा करते हो
और मैं उसके चेहरे पर घूंसा मार कर जवाब देता हूं
फिर वह अपने कफन से बाहर आता है
और एक दूसरे की बांह थामे
हम चल देते हैं वेदी की तरफ
दर्शनशास्त्र की सबसे बड़ी समस्या यह है कि
जूठे बरतन कौन साफ करेगा
यह इसी संसार की बात है
भगवान
सत्य
समय का बीतना
बिल्कुल सही बात
लेकिन पहले बताइए जूठे बरतन कौन साफ करेगा
जो करना चाहे करे
ठीक है फूटते हैं अपन
और लीजिए अब हम दोबारा वही बन चुके : एक दूसरे के दुश्मन।
2 comments:
Very good translation of a much celebrated poem by the master. Thanks for sharing.
पार्रा ने कविता के ज़रिए चूलें हिला दीं. पोर पोर पुलक उठा.
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