Sunday, December 30, 2007

एक कबाडियों का किस्सा....


फिर उसने कहा .....अल्लाह तुम पर मेहरबान हो! उसका करम तुम्हें नसीब हो!
एक दिन, शेख अल-जुनैद यात्रा पर निकल पड़े। और चलते-चलते उन्हें प्यास ने आ घेरा। वे व्याकुल हो गये। तभी उन्हें एक कुआं दिखा, जो इतना गहरा था कि उससे पानी निकालना मुमकिन न था। वहां कोई रस्सी-बाल्टी भी न थी। सो उन्होंने अपनी पगड़ी खोली और साफे को कुएं में लटकाया। उसका एक छोर किसी कदर कुएं के पानी तक जा पहुंचा।
वे बार बार साफे को इसी तरह कुएं के भीतर लटकाते फिर उसे बाहर खींच कर अपने मुंह में निचोड़ते।
तभी एक देहाती वहां आया और उसने उनसे कहा-
`अरे, तुम ऐसा क्यों कर रहे हो? पानी से कहो कि ऊपर आ जाये। फिर तुम पानी अपने चुल्लू से पी लो।´
ऐसा कह कर वह देहाती कुएं के जगत तक गया और उसने पानी से कहा-
`अल्लाह के नाम पर तू ऊपर आ जा!´ और पानी ऊपर आ गया। और फिर शेख अल-जुनैद और उस देहाती ने पानी पिया।
प्यास बुझाने के बाद शेख अल-जुनैद ने उस देहाती को देखा और उससे पूछा-
`तुम कौन हो ?´
`अल्लाह ताला का बनाया एक बंदा।´ उसने जवाब दिया।
`और तुम्हारा शेख कौन है?´ अल-ज़ुनैद ने उससे पूछा।
`मेरा शेख है .....अल-जुनैद! हालांकि –आह! अभी तक मेरी आंखों ने उन्हें कभी देखा नहीं।´ गांव वाले ने जवाब दिया।
`फिर तुम्हारे पास ऐसी ताकत कैसे आयी?´ शेख ने उससे सवाल किया।
`अपने शेख पर मेरे यकीन की वजह से!´ उस सीधे-सादे देहाती ने जवाब दिया।
और चला गया!

7 comments:

वीरेन डंगवाल said...

kya khoob bhai,
aur naya saal mubaarak ho.
viren dangwal.

वीरेन डंगवाल said...

yaani aap sahit poore kabaarkhane ko.
wahi-vee

इरफ़ान said...

नए साल में आप और भी अधिक ऊर्जा और कल्पनाशीलता के साथ ब्लॉगलेखन में जुटें, शुभकामनाएँ.

www.tooteehueebikhreehuee.blogspot.com
ramrotiaaloo@gmail.com

मृत्युंजय कुमार said...

नए साल में उस देहाती की तरह सकारात्मक संकल्प के साथ जीवन संग्राम में जूझने का संदेश देने के लिए बधाई

महावीर said...

नया वर्ष आप सब के लिए शुभ और मंगलमय हो।
महावीर शर्मा

मनीषा पांडे said...

बहुत खूब। विश्‍वास कितनी बड़ी चीज है, कितनी ताकत है भरोसे में। जीवन में बहुत कुछ होता है, लेकिन एक बुनियादी विश्‍वास नहीं होता। अच्‍छे विचारों के साथ खड़े होते हैं, लेकिन उन विचारों पर ही विश्‍वास शायद उतना नहीं होता। ऐसे ही किसी भरोसे के अभाव में डगमगाते मेरे मन को ऐसे ही भरोसे की जरूरत थी अभी। शुक्रिया।

अजेय said...

आज ही पहुँचा हूँ यहाँ. लाजवाब.