ये वाले रैदास दलित तो नही ही रहे होंगे.मस्जिद / मन्दिर में अल्लाह / ईश्वर को ढूँढने का समय तो था उनका पास,राजा या साहूकार जरूर रहे होंगे.नमक रोटी के बारे में कुछ कहा हो तो वह भी लिखियेगा.
प्यारे भाई शंकर आर्य के आदेश पर प्रस्तुत है संत की एक और वाणी-ऐसा चाहूं राज मैं, मिलै सबन को अन्नछोट-बड़ो सब सम बसै, तो रह रैदास प्रसन्न।
बहुत बढ़िया कहा ।घुघूती बासूती
आहा! तब भी लोग अन्न के सपने देखेते थे |धन्यवाद |
तेरा जन काहे कौं बोलै। बोलि बोलि अपनीं भगति क्यों खोलै।। टेक।। बोल बोलतां बढ़ै बियाधि, बोल अबोलैं जाई। बोलै बोल अबोल कौं पकरैं, बोल बोलै कूँ खाई।।१।। बोलै बोल मांनि परि बोलैं, बोलै बेद बड़ाई। उर में धरि धरि जब ही बोलै, तब हीं मूल गँवाई।।२।। बोलि बोलि औरहि समझावै, तब लग समझि नहीं रे भाई। बोलि बोलि समझि जब बूझी, तब काल सहित सब खाई।।३।। बोलै गुर अरु बोलै चेला, बोल्या बोल की परमिति जाई। कहै रैदास थकित भयौ जब, तब हीं परंमनिधि पाई।।४।।
कल सन्त शिरोमणि गुरु रविदास की जयन्ती है।चन्द्रभूषण ,शंकर आर्य एवं सभी साथियों को शुभकामना ।
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ये वाले रैदास दलित तो नही ही रहे होंगे.
मस्जिद / मन्दिर में अल्लाह / ईश्वर को ढूँढने का समय तो था उनका पास,
राजा या साहूकार जरूर रहे होंगे.
नमक रोटी के बारे में कुछ कहा हो तो वह भी लिखियेगा.
प्यारे भाई शंकर आर्य के आदेश पर प्रस्तुत है संत की एक और वाणी-
ऐसा चाहूं राज मैं, मिलै सबन को अन्न
छोट-बड़ो सब सम बसै, तो रह रैदास प्रसन्न।
बहुत बढ़िया कहा ।
घुघूती बासूती
आहा! तब भी लोग अन्न के सपने देखेते थे |
धन्यवाद |
तेरा जन काहे कौं बोलै।
बोलि बोलि अपनीं भगति क्यों खोलै।। टेक।।
बोल बोलतां बढ़ै बियाधि, बोल अबोलैं जाई।
बोलै बोल अबोल कौं पकरैं, बोल बोलै कूँ खाई।।१।।
बोलै बोल मांनि परि बोलैं, बोलै बेद बड़ाई।
उर में धरि धरि जब ही बोलै, तब हीं मूल गँवाई।।२।।
बोलि बोलि औरहि समझावै, तब लग समझि नहीं रे भाई।
बोलि बोलि समझि जब बूझी, तब काल सहित सब खाई।।३।।
बोलै गुर अरु बोलै चेला, बोल्या बोल की परमिति जाई।
कहै रैदास थकित भयौ जब, तब हीं परंमनिधि पाई।।४।।
कल सन्त शिरोमणि गुरु रविदास की जयन्ती है।चन्द्रभूषण ,शंकर आर्य एवं सभी साथियों को शुभकामना ।
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