हंगरी के कम्पोज़र और पियानोवादक रेसो सेरेस द्वारा १९३३ में लिखा गया गीत 'ग्लूमी सन्डे' आने वाले वर्षों में कई गायकों ने गाया था. १९४१ में बिली हॉलीडे का गाया संस्करण बहुत लोकप्रिय हुआ.
इस गीत को लेकर तमाम किंवदन्तियां चल निकलीं थीं मसलन यह कि इस गीत को सुनकर सैकड़ों लोग ख़ुदकुशी कर चुके हैं वगैरह वगैरह. बात यहां तक बढ़ी कि अमरीकियों ने तो इस गाने को 'हंगरी का आत्महत्या गीत' की पदवी दे डाली.
यह अलग बात है कि इस गीत के सर्जक रेसो सेरेस ने स्वयं १९६८ में कुछ अन्य कारणों के चलते आत्महत्या कर ली थी. इस गीत को लेकर फैलाई गई अफ़वाहें असल में बिली हॉलीडे के गाये संस्करण की महीन मार्केटिंग-स्ट्रैटेजी का हिस्सा थीं.
मूल गीत की मारक निराशाभरी वाणी और तिक्त दुःख इस क़दर असह्य थे कि इसे हंगरी के कवि लास्लो जावोर ने पुनर्सृजित किया. बाद में इसका अंग्रेज़ी तर्ज़ुमा छपा. सैम लुईस और डेसमंड कार्टर के इस अंग्रेज़ी अनुवाद को पॉल रॉब्सन ने भी गाया लेकिन कुछेक तब्दीलियों के साथ और अब यह एक सर्वमान्य तथ्य बन चुका है कि महान पॉल रॉब्सन का गाया संस्करण ही सबसे मानवीय है. पॉल रॉब्सन इस गीत की निराशा और दुःख को एक तरह की शाश्वत और मीठी उदासी में तब्दील कर देते हैं
गीत के बोल:
Sadly one Sunday I waited and waited
With flowers in my arms for the dream I'd created
I waited 'til dreams, like my heart, were all broken
The flowers were all dead and the words were unspoken
The grief that I knew was beyond all consoling
The beat of my heart was a bell that was tolling
Saddest of Sundays
Then came a Sunday when you came to find me
They bore me to church and I left you behind me
My eyes could not see one I wanted to love me
The earth and the flowers are forever above me
The bell tolled for me and the wind whispered, "Never!"
But you I have loved and I bless you forever
Last of all Sundays.
boomp3.com
(यह प्लेयर मान्यवर हरी मिर्च वाले श्री मनीष जोशी के सौजन्य से प्राप्त हुआ है. उन्हें धन्यवाद.)
यहां ज़रूर जाएं.
5 comments:
प्रिय अशोकजी , तीन बागी गायकों पर कभी एक पोस्ट चढ़ायी थी । जरूर
http://samatavadi.wordpress.com/2007/08/01/paul-robesonpete-seegerjoanbaez/ देखियेगा ।
अफ़लातून जी, आपने अच्छा लिखा है इन बाग़ी गायकों पर. धीरे धीरे बाक़ी गायकों के गीत भी सुनाता हूं. पोस्ट पर आपका लिंक भी लगा दिया है. धन्यवाद.
शुक्रिया अशोकजी , वर्डप्रेस में संगीत embed नही होता था इसलिए मैंने लिंक दिए हैं । अब वर्डप्रेस ने भी सुधार किया है , आजमाना होगा ।
आप 'महाकबाड़ी' हैं सर , आपने दुनिया भर का कबाड़ इकठ्ठा किया हुआ है. फिर भी मैं आपको बेवकूफों की तरह कुछ कुछ भेजते रहती हूँ आपके सुनने के लिए .....ये जानते हुए भी कि सब आपका पढ़ा सुना ही होगा . :-)
भावनाओं पे जाएं ! :-)
Post a Comment