इक़बाल बानो का नाम ग़ज़ल प्रेमियों में विशिष्ट स्थान रखता है. पाकिस्तानी मूल की इस बेहतरीन गायिका ने बहुत सारी ग़ज़लों को स्वरबद्ध किया है. मिर्ज़ा ग़ालिब की संभवतः सबसे लम्बी ग़ज़ल है "मुद्दत हुई है यार को मेहमां किये हुए". मुझे याद पड़ता है किसी किताब या पत्रिका में मैंने फ़ैज़ अहमद 'फ़ैज़' साहब का एक लम्बा लेख देखा था इस ग़ज़ल के बारे में. हमारे गुलज़ार साहब का बनाया, भूपिन्दर का गाया गीत "दिल ढूंढता है" इसी ग़ज़ल के एक शेर से 'प्रेरित' है.
इक़बाल बानो ने इस कालजयी ग़ज़ल के चन्द शेर गाये हैं. लुत्फ़ उठाइए.
मुद्दत हुई है यार को मेहमां किये हुए
जोश-ए-कदः से बज़्म चराग़ां किये हुए
करता हूं जमा फिर जिगर-ए-लख़्त-लख़्त को
अर्सा हुआ है दावत-ए-मिज़गां किये हुए
फिर पुरसिस-ए-जराहत-ए-दिल को चला है इश्क़
सामान-ए-सद-हज़ार नमकदां किये हुए
मांगे है फिर किसी को लब-ए-बाम पर हवस
ज़ुल्फ़-ए-सियह रुख़ पे परीशां किये हुए
चाहे है फिर किसी को मुकाबिल में आरज़ू
सुरमे से तेज़ दश्ना-ए-मिज़गां किये हुए
इक नौबहार-ए-नाज़ को ताके है फिर निगाह
चेहरा फ़रोग़-ए-मै से गुलिस्तां किये हुए
ग़ालिब हमें न छेड़ कि फिर जोश-ए-अश्क से
बैठे हैं हम तहया-ए-तूफ़ां किये हुए
5 comments:
अरे गालिब क्या किसी की मनाने वाला है? उसे छेड़ना है तो छेड़ कर ही रहेगा :-)
आनन्द आ गया.. एक तो गालिब की गज़ल और उपर से इकबाल बानो की आवाज...वाह!
गालिब की दो बढ़िया और बहुत कम प्रसिद्ध हुई परन्तु मधुर गज़ले आप यहाँ सुन सकते हैं।
مرزا اسد اللہ خان,
इक़बाल बानो ने यह ग़ज़ल बड़ी खूबसूरती से गाई है. सुनवाने के लिए शुक्रिया!
आपका यह कहना कि यह गालिब की सबसे लम्बी ग़ज़लों में से एक है, सही है. इस ग़ज़ल में १७ शेर हैं. वैसे गालिब की कई गज़ले १३-१४ शेरों तक की हैं. मसलन, 'सताइशगर है जाहिद इस कदर, जिस बाग़-ए-रिज्वां का', 'बज्म-ए-शहंशाह में अश'आर का दफ्तर खुला', 'ये न थी हमारी किस्मत के विसाल-ए-यार होता', 'हवस को है नशात-ए-कार क्या-क्या', 'फिर हुआ वक्त कि हो बाल कुशा मौज-ए-शराब', 'मिलती है खू-ए-यार से नार, इल्तिहाब में' , 'बाज़ीचा-ए-अत्फाल है दुनिया मिरे आगे' और यहाँ तक कि 'सब कहाँ, कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गयीं' ग़ज़ल में तो १६ शेर हैं!
वाह। मुझे इक़बाल बानो की गायकी पर जो थोड़ा शक था वो भी धुल गया…बहुत ही अच्छा गाया है उन्होने।
धन्यवाद।
शुभम।
वाह। मुझे इक़बाल बानो की गायकी पर जो थोड़ा शक था वो भी धुल गया…बहुत ही अच्छा गाया है उन्होने।
धन्यवाद।
शुभम।
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