वाह! इसके अलावा और कोई शब्द नहीं है मेरे पास धूप-धूल-आंधी में सनकर लौटा था अभी-अभी अपने घोंसले में सुना-केसर चुन्दरी रंगा दे पियवा मिट गई थकान , बुझ गई प्यास वाह! नित नया संगीत जिओ मेरे दोस्त-मेरे मीत वाह!
अशोक भाई, आज मैंने अद्भुत प्रयोग किया. आप बाबा की मन्त्र कविता, शोभा गुर्टू और रत्ना वसु को एक साथ ऑन करके देखिये, बीच-बीच में धूमिल की डायरी पढ़ते जाइए. अद्भुत आनंद मिलेगा! देखिये एक साथ कुछ व्यक्त और अव्यक्त एक साथ इतनी ध्वनियाँ और आवाजें! आप कल्पना नहीं कर सकते!!
शोभा गुर्टू उप-शास्त्रीय गायन की मलिका रही हैं अशोक भाई.बस एक ही गड़बड़ हो गई हमारी इस अनसंग हीरोइन के साथ.शोभाजी का गायन कालखण्ड लगभग परवान चढ़ा जब निर्मला देवी,गिरिजा देवी,हीरादेवी मिश्र,किशोरी अमोणकर प्रभा अत्रे जैसे नाम संगीत परिदृष्य पर अपनी श्रेष्ठता पर थे.वसंतराव देशपांडॆ बड़े ग़ुलाम अली ख़ाँ साहब,रसूलनबाई,सिध्देश्वरी देवी,और बेगम अख़्तर मंच से दूर हो चुके थे लेकिन श्रोताओं के दिलों से नहीं.ठुमरी गायन के ये नामचीन कारीगर मंच और रेकॉर्डिंग्स में छाए हुए थे. शोभा जी की आवाज़ का खरज एक ख़ास क़िस्म का ठसका लिये था. उनसे एक लम्बी मुलाक़ात ज़हन में थे. बड़ीं ख़ुश-तबियत इंसान थीं. उनसे मिलने से इस बात की पुष्टि होती थी कि कलाकार को पहले नेक इंसान होना चाहिये.जो रचना आपने जारी की है अशोक भाई यह रचना उप-शास्त्रीय अंग में ठुमरी या कजरी या झूला की तरह चैती है और ताल दीपचंदी .
5 comments:
साधुवाद। साधुवाद। बढ़िया । बहुत ही बढ़िया।
चैती सुनकर गँवई लोक-रंग की याद ताजा हो गई।
kya baat hai..waah..aabhaar
वाह!
इसके अलावा और कोई शब्द नहीं है मेरे पास
धूप-धूल-आंधी में सनकर लौटा था
अभी-अभी
अपने घोंसले में
सुना-केसर चुन्दरी रंगा दे पियवा
मिट गई थकान , बुझ गई प्यास
वाह!
नित नया संगीत
जिओ मेरे दोस्त-मेरे मीत
वाह!
अशोक भाई, आज मैंने अद्भुत प्रयोग किया. आप बाबा की मन्त्र कविता, शोभा गुर्टू और रत्ना वसु को एक साथ ऑन करके देखिये, बीच-बीच में धूमिल की डायरी पढ़ते जाइए. अद्भुत आनंद मिलेगा! देखिये एक साथ कुछ व्यक्त और अव्यक्त एक साथ इतनी ध्वनियाँ और आवाजें! आप कल्पना नहीं कर सकते!!
शोभा गुर्टू उप-शास्त्रीय गायन की मलिका रही हैं अशोक
भाई.बस एक ही गड़बड़ हो गई हमारी इस अनसंग हीरोइन
के साथ.शोभाजी का गायन कालखण्ड लगभग परवान चढ़ा
जब निर्मला देवी,गिरिजा देवी,हीरादेवी मिश्र,किशोरी अमोणकर
प्रभा अत्रे जैसे नाम संगीत परिदृष्य पर अपनी श्रेष्ठता पर थे.वसंतराव
देशपांडॆ बड़े ग़ुलाम अली ख़ाँ साहब,रसूलनबाई,सिध्देश्वरी देवी,और बेगम
अख़्तर मंच से दूर हो चुके थे लेकिन श्रोताओं के दिलों से नहीं.ठुमरी
गायन के ये नामचीन कारीगर मंच और रेकॉर्डिंग्स में छाए हुए थे.
शोभा जी की आवाज़ का खरज एक ख़ास क़िस्म का ठसका लिये था.
उनसे एक लम्बी मुलाक़ात ज़हन में थे. बड़ीं ख़ुश-तबियत इंसान थीं.
उनसे मिलने से इस बात की पुष्टि होती थी कि कलाकार को पहले
नेक इंसान होना चाहिये.जो रचना आपने जारी की है अशोक भाई
यह रचना उप-शास्त्रीय अंग में ठुमरी या कजरी या झूला
की तरह चैती है और ताल दीपचंदी .
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