Wednesday, July 30, 2008

नया दिन और एक और नये कबाड़ी का स्वागत

गीत चतुर्वेदी के ब्लॉग ने मुझे इतना प्रभावित किया था कि जून के महीने में मैंने एक पूरी की पूरी पोस्ट उस पर यहां लगाई थी. गीत के बारे में कुछ और लिखूं इस से अच्छा है कि आप दो काम करें: एक तो उनके ब्लॉग पर जा कर उनकी प्रोफ़ाइल देखें (ब्लॉग तो देखते ही होंगे) और कबाड़ख़ाने में लगी इस पोस्ट को पढ़ें.

इधर मैं कबाड़ख़ाने की टीम को बड़ा करने की जुगत में लगा हूं ताकि कबाड़ की और भी विरल और समृद्ध एक्सक्लूसिव क़िस्में आप को पेश की जा सकें. इस क्रम में कल भाई संजय पटेल ने मेरा न्यौता स्वीकार किया और आज गीत ने.

इस अति संभावनाशील हिन्दी कवि, कहानीकार, पत्रकार, अनुवादक और हां मेरे कुमाऊं के जंवाईराजा का स्वागत करते हुए मैं कबाड़ख़ाने के सारे सदस्यों की तरफ़ से उन्हें दो उपहार प्रस्तुत करता हूं.

उनके प्रोफ़ाइल में मेरे बहुत प्रिय पुर्तगाली कवि फ़र्नान्दो पेसोआ की एक कविता लगी हुई है. ख़ाकसार ने इस कवि की कविताओं का पिछले दस सालों में थोड़ा बहुत अनुवाद किया है. इस साल के विश्व पुस्तक मेले में ये अनुवाद किताब की सूरत में संवाद प्रकाशन से 'पृथ्वी की सारी ख़ामोशी' के नाम से छपा. सो गीत के लिए उनके प्रोफ़ाइल में लगी कविता का इस किताब से अनुवाद:


मैं एक भगोड़ा हूं
जब मैं पैदा हुआ
उन्होंने मुझे बंद कर दिया
मेरे भीतर
उफ़,
पर मैं भाग निकला.

अगर लोग
उसी पुरानी जगह पर रहने से ऊब जाते हैं
तो उसी पुरानी त्वचा के भीतर रहने से
क्यों नहीं ऊबते?

मेरी आत्मा
मेरी तलाश में निकली हुई है
पर मैं झुका ही रहता हूं
क्या वह कभी मुझे खोज पाएगी?
मैं आशा करता हूं
ऐसा कभी नहीं होगा.

ख़ुद सिर्फ़
मैं हो जाने का मतलब हुआ
पछाड़ दिया जाना
और निहायत कोई भी हो जाना,
मैं रहूंगा भागता हुआ
जीवित
और जियूंगा सचमुच.

दूसरा उपहार रेशमा आपा की आवाज़ में पंजाब का एक बहुत ही मार्मिक लोकगीत:



(स्केच 'कासा फ़र्नान्दो पेसोआ' का लोगो है)

10 comments:

शोभा said...

सुन्दर प्रस्तुति । कविता मुझे बहुत पसन्द आई। सस्नेह

Unknown said...

bahut badiaaa.

बालकिशन said...

शानदार और जानदार प्रस्तुति.
गीत जी और कबाड़खाना को बधाई और शुभकामनाएं.

शायदा said...

बहुत बढि़या कविता और शानदार अंदाज, आपको और गीत चतुर्वेदी जी दोनों को बधाई। हमें विश्‍वास है कि वे यहां भी अपना जादू जारी रखेंगे। आपके ख़जाने में पहले ही इतने र
त्‍न थे अब चमक और बढ़ गई।

Vineeta Yashsavi said...

गीत जी को कबाड़ख़ाने में आने की बधाई. बहुत अच्छी कविता है फ़र्नान्दो पेसोआ की.

Udan Tashtari said...

आनन्द आ गया.

अमिताभ मीत said...

May the tribe prosper. We need more and more... and still more of the species.

Unknown said...

ditta [as Meet said] - manish

rajesh rawat said...

geetji ko bhadaai aur khabdkhanna ko bhi bhadaai - Rajesh Rawat

rajesh rawat said...

geetg ko bhadaai
rajesh