Tuesday, July 15, 2008

आनन्द शंकर के संगीत का मज़ा लेना है तो यहाँ आइये....


आज बहुत दिनों बाद आपसे रूबरू होने का मौका मिला है....क्या किया जाय कारण नौकरी भी थी.....और अपना कम्प्यूटर भी साथ नहीं दे रहा था.....और मन तो कब का अनमनाया सा ही है...कुछ भी सुनने सुनाने का दिल भी नहीं कर रहा था....इस तरह के मूड में कुछ ऐसी संगीत रचनाएं सुनने को मिल जाती हैं जो आपको अपने आस पास की दुनियाँ से अलग किसी और ही उड़ान पर ले जाता है.....और ऐसे मौके पर आनंद शंकर की कुछ रचनाएं तो राम बाण साबित होती हैं.........सुनते रहिये अपनी उड़ान भरते रहिये......खो जाइये मधुर संगीत की दुनियाँ में। अगर उनके बारे मे कुछ जानना हो तो यहाँ चटका लगा के जान सकते हैं.....

मैने आनन्द शंकर के बैले ग्रुप को देखा है.. वो तो एक अलग ही दुनियाँ रचते थे.....आज उनकी दो मधुर रचना पेश कर रहा हूँ....सुनिये और अपने को भूलकर सुनिये मज़ा आयेगा...... ये दोनों आनन्द शंकर के अलबम(A Life In Music Best Of The EMI Years (2006))से हैं

पहली रचना ...............Missing you



और ये दूसरी रचना है..........The River

5 comments:

Udan Tashtari said...

Meditational impact hai...Aanand aa gaya.

Ashok Pande said...

विमल भाई

बहुत सुकूनदेह बहुत मीठा.

ख़ास तौर पर जब दूसरे वाले में सीटी बजनी शुरू होती है तो पता नहीं एक साथ क्या-क्या भीतर हिलकोरें मारने लगा. जुलम किया आपने इतने रोज़ यहां न आकर.

अब रेगुलर होंगे तो बात है.

इस शानदार पोस्ट के लिए वो क्या ग़ज़ल गाते हैं उस्ताद:

नवाज़िश करम शुक्रिया मेहरबानी
मुझे बख़्श दी आपने ज़िन्दगानी ... इत्यादि.

बने रहें सर!

siddheshwar singh said...

विमल भाई,
आपके द्वारा प्रस्तुत यह संगीत : बहुत-बहुत कर्णप्रिय!
मनमोहक!
और
निर्वेद की ओर ले जाने वाला संगीत!
आपको सलाम.

Pratyaksha said...

बहुत दिनों बाद सुना ..लेकिन ये अल्बम जहाँ तक याद है लेट सेवेंटीज़ में आई थी ..स्ट्रीट्स ऑफ कैलकटा , साईरस , डैंसिंग ड्रम्स ..रिवर ..स्कूल में हमने इस संगीत पर बैले जैसा कुछ किया था ..सो खूब याद रहा ..तब भी खूब आनंद आता था , आज भी रिवर सुनकर बहुत अच्छा लगा ..

VIMAL VERMA said...

प्रत्यक्षाजी, आपने बिल्कुल सही फरमाया है ये रकाना उसी समय का है..पर कुछ समय पहले ही ई एम् आई ने दो वोल्यूम में फिर सीडीज रिलीज़ की हैं....सभी ने आनंद लिया बहुत बहुत शुक्रिया |