कई हफ्ते पहले ब्रजेश्वर मदान साहेब ने एक कविता ब्लाग पर प्रकाशित करने के लिये दी थी. अपने समय के बेह्तरीन फ़िल्म पत्रकार रहे मदानजी की पहला कविता संग्रह जल्द ही उनके पाठकों के सामने होगा. उसी संग्रह की यह कविता है:
पालीबैग
नहीं फेंक पाता
वह पालीबैग
किसी रैग पिकर के लिए
जिसमें तुमने
वापस भेजी थी
मेरी किताब
जो कि मेरी नहीं
दूसरे लेखकों की थी
रख लिया है
तुम्हारी याद के तौर पर
जिस पर लिखा है
वीक एंडर
- वियर योर एटीट्यूड
लगता है दोष तुम्हारा नहीं
बाजार का है
जो बदल देता है
एटीट्यूड
जहाँ हर चीज होती है
यूज एंड थ्रो के
लिए
देखता हूँ मैं अपने
आप को
इस पालीबैग में
एक वस्तु में
बदलते हुए
जैसे आदमी नहीं
कंडोम हूँ।
4 comments:
जन्माष्टमी के पावन पर्व पर आपको शुभकामनाएं
दीपक भारतदीप
ब्रजेश्वर मदान जी तक मेरी शुभकामनायें पहुंचायें। मेरा फोन नंबर 9868166586 है।
विनीत जी,
अगर मैं गलत नहीं हूं तो यह वही ब्रजेश्वर मदान जी हैं जो एक समय 'फ़िल्मी कलियां' के संपादक हुआ करते थे. हर साल अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव के समय उनकी खास रपटो का हम इंतजार करते थे. बद में मैंने एक पाठक की हैसियत से उनको एक सशक्त कथाकार के रूप में जाना था लेकिन पिछले कई सलोम से ब्रजेश्वर जी का का लिखा कुछ देख नहीं सका , यह मेरी सीमा हो सकती है. पिछले दो-तीन महीनों से उनकी कुछ रचनाओं को 'कबाड़खाना' और 'कर्मनाशा'पर लगाने की सोच रहा था,खासकर उनकी लिखी लघु कलेवर की (लघुकथा नहीं)कहानियों को. आपकी यह पोस्ट देकर खुशी हुई कि उनका कविता संग्रह आ रहा है.
ब्रजेश्वर मदान जी के कवि रूप से परिचय करवाने के लिये आभार. उनकी कोई कहानी यदि आप प्रस्तुत कर सकें तो बेहद खुशी होगी.
ब्रजेश्वर जी को मेरा प्रणाम!
मदान जी,
गर्व से कहिए कि आप... हैं। कृपया कविताओं की आबादी रोकने के बीस सूत्री कार्यक्रम में सारे घर्षण झेल कर भी सहयोग कीजिए।
आपका ही
उपभोक्ता
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