Wednesday, September 17, 2008

कल सदा-सुरीली सुब्बु अम्मा का जन्मदिन था –सुन लें ये कबीरी पद


मेरे शहर में मुझे दिल्ली का जनसत्ता एक दिन बाद मिलता है. कल तारीख़ थी 16 सितम्बर थी और भाषा के हवाले से जनसत्ता ने ही याद दिला दी भारतरत्न एम.एस.सुब्बुलक्ष्मी की. कल भी हमारे बीच होतीं तो 92 बरस की हो जातीं.2004 में हमारे बीच से विदा हो चुकीं एम.एस. भारतीय भक्ति-संगीत का स्मारक थीं.ऐसे स्वर वास्तु अब कहाँ.भाषा से ऊपर उठ कर जिन कलाकारों ने हमारा दिल जीता है उनमें सुब्बु अम्मा सबसे ज़्यादा आदर की पात्र हैं.सन 1983 में ख़ाकसार को श्री सत्य साई बाबा के आश्रम में एम.एस. को सुनने का दुर्लभ मौक़ा मिला था. तक़रीबन पचास हज़ार लोगों से भरे उस कार्यक्रम में एम.एस. जब गा रहीं थीं लो लग रहा था जैसे हमारी भक्ति-संगीत परम्परा इस महान विभूति की चेरी है. वह दृष्य स्मृति से ओझल नहीं होता जब श्री सत्य साई बाबा एम.एस.की अगवानी पहुँचने मंच से नीचे उतरकर आए थे. जबकि उस आयोजन में कई जानेमाने राजनेता मौजूद थे (संभवत: उपराष्ट्रपति डॉ.शंकरदयाल शर्मा भी)लेकिन बाबा किसी के लिये मंच से नीचे नहीं आए थे. आइये आज इस सर्वकालिक महान गायिका से ये कबीरी पद सुन लें
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3 comments:

Ashok Pande said...

बहुत ज़बरदस्त प्रस्तुति संजय भाई! मेरे पास कहीं से १९४० के दशक की 'मीरा' फ़िल्म के सारे गीत धरे हुए हैं जिसके भजनों में एम एस ने अपनी आत्मा उड़ेल दी है. सरोजिनी नायडू ने फ़िल्म के प्रीमियर पर एक स्पीच दी थी - वह भी उसी संग्रह में थी. आपकी पोस्ट के बाद बहुत बेचैन होकर उसे तलाश रहा हूं - पता नही कहां खोया पड़ा है. मिलते ही सुनवाता हूं.

एम एस को उत्तर भारत में वह सम्मान नहीं मिला जिसकी वे हकदार थीं. पर क्या करें, हम लोग होते ही ऐसे हैं - कृपण, कुढ़न से भरे.

अम्मा को नमन!

नीरज गोस्वामी said...

ऐसी विलक्षण प्रतिभाएं सदियों में जन्म लेती हैं...इनके गाये मीरा के भजन अनमोल हैं....मैं उन्हें अपने श्रधा सुमन अर्पित करता हूँ और आप को धन्यवाद प्रेषित करता हूँ.
नीरज

Vineeta Yashsavi said...

बहुत धन्यवाद इस अवसर की याद दिलाने और सुन्दर गायन सुनवाने का.