Wednesday, September 17, 2008

नैनीताल का नन्दादेवी मेला - २००८

नैनीताल में 1918-19 से प्रति वर्ष नन्दा देवी मेले का आयोजन किया जाता है जो कि 3-4 दिन तक चलता है। इस बार भी यह मेला 7 सितम्बर को आयोजित किया गया। मेले के धार्मिक अनुष्ठान पंचमी के दिन से प्रारम्भ हो जाते है। जिसके प्रथम चरण में नन्दा व सुनन्दा की मूर्तियों का निर्माण होता है। मूर्तियों के निर्माण के लिये केले के वृक्षों का चुनाव किया जाता है। केले के वृक्ष को लाने का भी अनुष्ठान किया जाता है। जिसके बाद मूर्तियों का विधि विधान से निर्माण किया जाता है। नंदा की मूर्ति का स्वरूप उत्तराखंड की सबसे उंची चोटी नंदा के आकार की तरह ही बनाया जाता है। अष्टमी के दिन इन मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है और भक्तों के दर्शनों के लिये इन्हें डोले में रखा जाता है। 3-4 दिन तक नियमित पूजा पाठ चलता है और उसके बाद नन्दा-सुनन्दा के डोले के पूरे शहर में घुमाने के बाद संध्या काल में नैनी झील में विसर्जित कर दिया जाता है। इस बार 10 सितम्बर को मूसलाधार बारिश के बीच इस आयोजन का समापन हुआ।

इस दौरान मल्लीताल में मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें बाहर से व्यापारी आकर अपनी दुकानें लगाते हैं। नैनीताल के आस-पास बसे गांव के लोगों के लिये इस मेले का एक विशेष महत्व रहता है। अब इस मेले का स्वरूप काफी बदल गया है और इसे महोत्सव का रूप दिया जा चुका है।

प्रस्तुत हैं इस महोत्सव के कुछ फ़ोटो:































8 comments:

शिरीष कुमार मौर्य said...

अच्छा काम विनीता !
इन फोटो से पता चला कि तुम भी आस - पास ही हो !
मेरा आशीर्वाद !

Ashok Pande said...

बढ़िया तस्वीरें. अच्छा काम है. नैनीताल की सारी यादें ताज़ा होने लगीं.

Tarun said...

फोटो देखकर नैनीताल की सारी यादें ताज़ा हो गयीं, धन्यवाद

siddheshwar singh said...

मैं तो बिना टिकट-भाड़े के नैनीताल पहुंच गया.वैसे सच तो यह है कि मैं दूर ही कब था.सुंदर तस्वीरें,उम्दा परिचय.
एक अनुरोध-आप फ़ांसी गधेरे पर कुछ लिखो,मदद की दरकार होगी तो उसके लिए काफ़ी लोग हैं वहां.

Unknown said...

महानगर में तो बस यादों का मेला। आप ब्लाग पर लोक ले आईं।

एस. बी. सिंह said...

तस्वीरों से मेले को आंखों के आगे जीवंत कर दिया। धन्यवाद

दीप्ति गरजोला said...

खूबसूरत यादें
आपने मुझे नैनीताल की सारी यादें ताजा करा दी।

Anonymous said...

बेहतरीन चित्रण। बेहतर होता यदि आप मेले से पहले भी इसकी जानकारी दे देते। हो सकता था क‍ि मेरे जैसे कुछ कबाड़ी वहां पहंच जाते। फिर भी आपने यहीं मेला दिखा दिया। आभार।