क़रीब एक साल पहले शुरू हुआ कबाड़ख़ाना अलग-अलग मूड्स और फ़ितरत वाले साथियों के लगातार आगमन से सतत समृद्ध होता गया है. मेरी दिली ख़्वाहिश थी कि भाई विजयशंकर चतुर्वेदी और संगीतप्रेमी अमिताभ पांडेय उर्फ़ मीत भी इस रचनात्मक प्रयास के साझीदार बनें. आज यह इच्छा पूरी हुई है और इन दो महानुभावों के आने के साथ ही इस कॉमन प्लेटफ़ॉर्म को और मजबूती मिली है.
पिछले महीने भर में ब्लॉगजगत में अद्वितीय पहचान बनाने वाले क़रीब आधा दर्ज़न शानदार लोग कबाड़ख़ाने का हिस्सा बने हैं और अपनी उपस्थिति यहां बाक़ायदा दर्ज़ करा चुके हैं. मिसाल के लिए कवि वेणुगोपाल की मृत्यु पर लिखा गया विजयशंकर चतुर्वेदी का कल का धधकता हुआ आलेख बहुत आश्वस्त करता है कि इस ब्लॉग पर जिन-जिन स्वरों की कमी थी, वे सब अब यहां गूंजा करेंगे और इस सामूहिक जतन को नई दिशा प्रदान करेंगे.
स्वागत है विजय भाई. स्वागत मीत भाई!
4 comments:
सबको कबाड़ी बना डालोगे क्या अशोक भाई? मोनोपोली का इरादा है क्या?
खुशामदीद। स्वागत दो सुरीले दोस्तों का।
दोनों कबाडि़यों का इस नए कबाड़ी की अोर से स्वागत।
दोनों कबाडि़यों का स्वागत!
खुश आमदीद!
Post a Comment