Thursday, October 16, 2008

आशीष सांकृत्यायन की आवाज़ में ध्रुपद गायकी


ध्रुपद का नाम लेते ही डागर परिवार का नाम मन में आता है. इस विशिष्ट गायन शैली के एक अनूठे कलाकार से आपका परिचय करा रहा हूं.

यूनीवर्सिटी ऑफ़ बॉम्बे में गणित और भौतिकविज्ञान की पढ़ाई कर रहे आशीष सांकृत्यायन ने जब पहली बार उस्ताद फ़हीमुद्दीन डागर की राग दरबारी की एक कम्पोज़ीशन सुनी तो उन्होंने ठान लिया कि अब जीवन सिर्फ़ और सिर्फ़ ध्रुपद गायकी बन के रह जाना है. बीस सालों तक तमाम उस्तादों से प्रशिक्षण ले चुकने के बाद जब सन २००० में उन्होंने अपनी पहली सार्वजनिक प्रस्तुति दी तो उन्हें हाथोंहाथ लिया गया. संगीत नाटक अकादमी ने उन्हें २००३ में राष्ट्रीय सांस्कृतिक फ़ैलोशिप से सम्मानित किया.

अब वे दुनिया भर में अपने गायन का लोहा मनवा चुके हैं.

ज़्यादा भूमिका न बांधते हुए आपको उनकी विलक्षण आवाज़ सुनवाता हूं:

4 comments:

शोभा said...

आशीष जी
बहुत ही मधुर स्वर मैं ध्रुपद प्रस्तुत की है. सुनकर आनंद आगया. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें.

संजय पटेल said...

छाती के परदे हिल गए दादा.

siddheshwar singh said...

मज्ज ऐ गो सैप!!

Ek ziddi dhun said...

आशीष photu dekhte hi yaad aa rahe hain. Karnal men ve Dagar sahab ke sath aye the aur mujh moorkh ko unhone bakayda bolkar dagar sahab ki prastuti par report likhvayee thi.