Wednesday, November 5, 2008
पं.भीमसेन जोशी नहीं ; भारतरत्न पं.भीमसेन जोशी कहिये !
यह पहली बार हुआ है जब किसी उत्तर भारतीय शास्त्रीय संगीत के मूर्धन्य गायक को देश के सर्वोच्च अलंकरण से नवाज़ा गया है . जी हम सारे संगीतप्रेमियों के लिये ये सबसे सुरीली भोर है. अब पं.भीमसेन जोशी नहीं भारतरत्न पं.भीमसेन जोशी कहिये हुज़ूर.देश के इस शीर्षस्थ स्वर के लिये जब यह अलंकरण आया है तब वह लगभग ख़ामोश सा है.
जिस तपस्या से पंडितजी ने इस स्थान को छुआ है वह किसी करिश्मे से कम नहीं.कर्नाटक के धारवाड़ ज़िले से अपनी स्वर-यात्रा प्रारंभ करने वाली यह आवाज़ दुनिया की सबसे चमत्कारिक आवाज़ों में से एक कही जानी चाहिये. जिस समय ये अलंकरण भीमसेन जी को मिला है तब वे घोर शारीरिक पीड़ा से घिरे हुए हैं.मालूम नहीं भारत सरकार की इस नवाज़िश से वे कितना आनंदित हो पाएंगे. बल्कि मुझे लगता है कि पूरा जोशी परिवार इस पहल से निश्चित ही अचंभित होगा. ये दुर्भाग्य ही कहा जाना चाहिये कि हमारे देश में नागरिक अलंकरण तब झोली में आते हैं जब कलाकार या क़लमकार अपनी पूरी पारी खेल चुका होता है और शारीरिक रूप से इतना चैतन्य भी नहीं रहता कि वह इन सम्मानों का सुख सुदीर्घ समय तक ले सके.
बहरहाल यह हिन्दुस्तानी क्लासिकल मूसीकी के लिये जश्न मनाने का समय है. भीमसेन जी भारतरत्न हो गए. अपनी धीर-गंभीर और पहाड़ी आवाज़ से जादुई समाँ रचने वाले इस सर्वकालिक महान गान-तपस्वी को कबाड़खाना की अनेक बधाईयाँ.
यदि आप भोर बेला में कबाड़खाना पर तशरीफ़ लाए हैं तो सुनिये राग ललित भटियार.
देश भर में चल रही तमाम विसंगतियों के बीच पं.भीमसेन जोशी को भारतरत्न से नवाज़े जाने की ख़बर लगभग बीत रहे 2008 की सबसे सुकूनभरी और सुरीली ख़बर कही जानी चाहिये.चित्र में वे इन्दौर के विश्व विख्यात शनि मंदिर में पूजा अर्चना कर रहे हैं , साथ में हैं उनकी दिवंगत जीवन सखी श्रीमती वत्सला जोशी.छाया मेरे शहर के जानेमाने फ़ोटोग्राफ़र श्री ओम तिवारी की है.
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6 comments:
भीमकाय खुशी का क्षण।.........जय भीम।
यह सभी के लिये खुशी का क्षण है, उन जैसे महान गायक को "उत्तर भारतीय" शब्द की सीमा में बाँधना ठीक नहीं है, मराठी में भी उन्होंने सैकड़ों भजन, अभंग और शास्त्रीय गाये हैं… उन्हें मेरा प्रणाम
ये सरकारें किसी बड़े कलाकार के साथ इसी तरह व्यवहार करती हैं। मुझे खुशी है लेकिन उतनी नहीं जितनी यह पुरस्कार उन्हें बहुत पहले मिल जाने से होती। आप याद कर सकते हैं कि सरकार ने फिल्मकार सत्यजीत राय को कब भारत-रत्न दिया था? वे जब मृत्युशैया पर थे और इसके पहले उन्हें अपने योगदान के लिए आस्कर का लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया जा चुका था।
खैर मेरी स्मृति में वे क्षण फिर ताजा हो गए हैं जब इंदौर में पंडित भीमसेन जोशी की अब तक की आखिरी संगीत सभा थी और वे बहुत बीमार थे। मैंने स्टेज के पीछे उन्हें व्हील चेयर पर बैठे देखा था इंटरव्यू करना चाहता था लेकिन उन्हें तब जबरदस्त खांसी चल रही थी। शायद संजयभाई को भी वे क्षण याद हों और यह भी कैसे मैं समय पर अपनी कॉपी फाइल करने के लिए लगभग दौड़ते हुए संजयभाई से हाय-हैलो कर पाया था। मैं ने अपनी कॉपी फाइल की और फिर पंडितजी का गाना सुनने वैष्णव विद्यालय के उस खुले प्रांगण में आया था। उनकी अस्वस्थता के बावजूद उनकी खनकदार गायकी अब भी मन में गूंज रही है।
सभी को बधाई।
सब याद है रवीन्द्र भाई. इसके पहले के एक कंसर्ट में किसी श्रोता ने कहा था कि पंडितजी मिले सुर मेरा तुम्हारा सुनाइये..तो पंडितजी बोले: वह मैने भारत सरकार को बेच दिया है. आपने ठीक कहा कि काश दस पन्द्रह बरस पहले यह सम्मान मिल जाता तो बात ही कुछ और होती.
सुरेश भाई ; भीमसेन जी उत्तर भारत या महाराष्ट्र के ही नहीं पूरी कायनात के ओजस्वी स्वर हैं.उत्तर भारतीय संगीत से मेरा आशय उत्तर भारतीय संगीत की शैली से है. यानी जिसमें ख़याल गायकी का वैभव है.दूसरी पध्दति है दक्षिण भारतीय जिसमें बाळ मुलळी कृष्ण या एम.एस.सुब्बुलक्ष्मी जैसे महान स्वर साधक है.
उत्तर भारतीय संगीत में गायन को पहली बार नवाज़ा गया है यह सर्वोच्च अलंकरण.इसके पहले दो शीर्षस्थ वादकों पं.रविशंकर और उस्ताद बिसमिल्ला ख़ान भारतरत्न से अलंकृत किये गये हैं.
संगीत और सरहद.....? क़तई नहीं
भीमसेन जी भारतरत्न हो गए-jaankar behad prasnNata hui.sabhi sangeet premiyon ke liye khushi ke khabar hai...lekin USA ke election ki news mein TV news channels ne is news ko khaaas importance nahin di..iska afsos hai-
-yahan blog par hi yah jaankari mili-dhnywaad.
अनमोल रतन को भारतरत्न!!
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