Saturday, November 22, 2008

भजन चलता रहे


कभी किसी समय इस गायक चतुष्टय ने हिन्दुस्तानी संगीत प्रेमियों को अद्भुत तरीके से आनंदित और आहलादित किया था .आपको याद तो होगा ही - 'सूरज की गर्मी से तपते हुए तन को मिल जाए तरुवर की छाया..' .अब आजकल जबकि सर्दियों की आमद हो गई है फिर भी मन के किसी कोने में यह अहसास अवश्य बना रहता है कि हमारे चारों ओर मुसलसल बेहिसाब गर्मी और तपन है.ऐसे में पसंदीदा संगीत कुछ सुकून , कुछ राहत जरूर दे जाता है. शर्मा बंधु ( गोपाल, सुखदेव, कौशलेन्द्र और राघवेन्द्र शर्मा ) के स्वर में गाया यह भजन मुझे बहुत प्रिय है. यह रचना इस उम्मीद के साथ पेश है कि आपको पसंद आएगी. तो सुनते हैं -' भजन चलता रहे॥'


4 comments:

एस. बी. सिंह said...

सचमुच तपन में तरुवर की छाया जैसा

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

वाह ! आनन्द आ गया।

बाबुषा said...

ये प्लेयर रुक रुक के चल रहा है. :-(

Ashok Pande said...

प्लेयर को एक बार प्ले करके तुरन्त पॉज़ दबा दें. ऑडियो को बफ़र होने दें. जब ऑडियो करीब साठ फ़ीसदी बफ़र हो जाए, प्ले दबाएं और गीत को अनवरत सुनें ... चाहे जितनी बार. आसान है.