Monday, November 17, 2008

नया ज़माना, नए सुबह-ओ-शाम पैदा कर



नुसरत फ़तेह अली ख़ान साहब से सुनिये यह क़व्वाली:

2 comments:

siddheshwar singh said...

कौसानी से वापसी में यह कव्वाली खूब सुनी गई और..
संगीत के साए में सुखद रहे यह संसार!

Pratibha said...

bahut khoob!