नए साल की क़समें
क़सम खाता हूं शराब और सिगरेट पीना नहीं छोड़ूंगा
क़सम खाता हूं, जिन से नफ़रत करता हूं उन्हें नहला दूंगा नीच शब्दों से
क़सम खाता हूं, सुन्दर लड़कियों को ताका करूंगा
क़सम खाता हूं हंसने का जब भी उचित मौका होगा, खूब खुले मुंह से हंसूंगा
सूर्यास्त को देखा करूंगा खोया खोया
फ़सादियों की भीड़ को देखूंगा नफ़रत से
क़सम खाता हूं दिल को हिला देने वाली कहानियों पर रोते हुए भी सन्देह करूंगा
दुनिया औए देश के बारे में दिमागी बहस नहीं करूंगा
बुरी कविताएं लिखूंगा और अच्छी भी
क़सम खाता हूं समाचार संवाददाताओं को नहीं बताऊंगा अपने विचार
क़सम खाता हूं दूसरा टीवी नहीं खरीदूंगा
क़सम खाता हूं अंतरिक्ष विमान चढ़ने की इच्छा नहीं करूंगा
क़सम खाता हूं कसम तोड़ने का अफ़सोस नहीं करूंगा
इस की तस्दीक में हम सब दस्तख़त करते हैं.
(जापानी कवि शुन्तारो तानीकावा की यह अति प्रसिद्ध कविता 2008 में संवाद प्रकाशन से छ्पी उन के अनुवादों की पुस्तक 'एकाकीपन के बीस अरब प्रकाशवर्ष' का हिस्सा है.)
7 comments:
ये भी खूब रही......चलिए हम भी कसम खाते हैं......
नव वर्ष की आपको ढेर साड़ी शुभकामनाये ..........
सारी कसमे सच्ची..
कसम!
क्या खाएं?
टूट जाती हैं
हर बार!
नव वर्ष पर शुभ कामनाएँ।
कसमें, वादे, प्यार, वफा सब- बातें हैं बातों का क्या! कुछ खट्टे, कुछ मीठे वादे संकलित करने के लिए बधाई। यह ध्यान रहे कि RESOLUTIONS ARE MADE TO BREAK और ये जितनी जल्दी टूते, उतनी ही जल्दी आज़ादी मिलेगी। नववर्ष की शुभकामनाएं।
हमने भी कसम खा ली है, लेकिन बताएँगे नही|
आपको नया साल मुबारक हो|
नयासाल् मुबारक्!!
मैने २००८ मे धूमपान् चोडा!! २००९ मे "रिसैकिल्" के बारेमे कुछ् कर्नेकेलिये सोछ्ररहाहू!! मत्लब्, कुछ् याड् क्यांपैन् कर्नेकेलिये!!
धन्यवाद्
भास्कर्
Ditto......! But where is that XLRI gem u promised to put here on new year eve?
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