धीरे -धीरे गरमी की आमद अपनी हाजिरी लगाए जा रही है. वसंत जैसा भी है , उसका बस अंत ही है .होली का रंग अपने उफान पर है. ऐसे में सभी को होली की बधाई - मुबारकबाद. मस्त रहें - मौज करें. हैप्पी होली !
फगुआ पर बारहमासा ! अभी सुबह उठकर यही सुन रहा था मन हुआ कि 'कबाड़खाना' पर प्रस्तुत कर दिया जाय सो हाजिर है. उम्मीद है पसंद आएगा. एक बार फिर होली की बधाई !
बारहमासा : नई झुलनी की छैयाँ बलम दुपहरिया बिताय ल हो !
स्वर : पंडित विद्याधर मिश्र
5 comments:
aapka geet to nahi chala magar hamari holi ke avsar par aapko dher sari shubh kaamnaayen
गीत चल भी रहा है, सुन भी रहा हूं । इतना धीरज भी नहीं है कि पूरा गीत सुनने के बाद कमेंट लिखूं ।
इस बारहमासे के लिये आपका बहुत बहुत आभार ।
गीत के लिये आभार .
भारतीय शास्त्रीय संगीत की बात ही निराली है.
दिल झूम गया
pandit ji ke kuch aur sunvayen...aanand...aanand..apna aur joshim ka no. den...mere no. par..0-9820212573
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