Saturday, March 28, 2009

लंका चल्यो राम



दिल्ली में एक परिचित के सौजन्य से मुझे एक डॉक्यूमेन्ट्री प्राप्त हुई - 'खयाल दर्पण'. विभाजन के बाद भारतीय शास्त्रीय संगीत की परम्परा को कितने बदलावों और ग़ैरज़रूरी विभाजनों से जूझना पड़ा, यही इस फ़िल्म की मुख्य थीम है. फ़िल्म आपको आज के पाकिस्तान के संगीत परिदृश्य से परिचित कराती भी चलती है.

सन २००५ में दिल्ली में रहने वाले फ़िल्म निर्माता यूसुफ़ सईद ने पाकिस्तान में कोई छः महीने बिता कर संगीत से सम्बन्ध रखने वाले तमाम लोगों, विशेषज्ञों से मुलाकातें कीं और एक ज़बरदस्त दस्तावेज़ तैयार किया.

व्यक्तिगत रूप से मुझे इस फ़िल्म में क़व्वाल बच्चे घराना से सम्बन्ध रखने वाले उस्ताद नसीरुद्दीन सामी साहब की आवाज़ और अदायगी ने इस कदर प्रभावित किया कि मैं दिन -रात उनकी एक कम्पोज़ीशन के दो-ढाई मिनट के टुकड़े को सुनता रहता हूं. कुछ जुगाड़तन्त्र बना तो आपको तुरन्त सामी साहब की वह क्लिप दिखला रहा हूं. ज़रा बोल तो सुनिये:

लंका चल्यो राम
जीत लियो रणसमर
धूम मची जग में
बाज गयो डंका




( नसीरुद्दीन सामी साहब के फ़ोटो और वीडियो क्लिप के लिये जनाब यूसुफ़ सईद को कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए लगा रहा हूं यह पोस्ट)

3 comments:

anurag vats said...

jugad men hun ki dilli men unhin sajjan se yah film nikalun...

abcd said...

अद्वितीय .....

RM Tiwari said...

sami sahab abhi hindustan tashreef laye the.28 june ko Ravenshaw university Cuttak mein unhe ame samne sunne ka maouka mila.www.hooghli.com par unke poore prog ki recordin suni ja sakti hai.