यह होली गीत या फगुआ भोजपुरी इलाके में कई रूपों में ( कुछ शब्दों के हेरफेर के साथ ) मिलता है लेकिन इसमें उल्लास और मस्ती सब जगह एक जैसी ही पाई जाती है. आज होलिका दहन या सम्मत (सम्मथ बाबा ) जलाने की बारी है. बचपन में हमलोग लौकार (मशाल ) बनाकर उसे भाँजते हुए इस जुलूस में शामिल होते थे- गोइंठा (उपले ) और उबटन की उतरन के साथ. हाँ , तब हम लोग होली पर पटाखे छोड़ते -फोड़ते थे दीवाली पर नहीं. यह सब स्मॄतियों के गलियारे में उतरने का उपक्रम है और विस्तार से लिखे जाने की माँग करता है. अभी तो अबीर - गुलाल वाली होली और जोगीड़ा सारा रारा का मौसम है सो कोई सीरियस बात नहीं बस मस्ती और मस्ती...
अभी आप जो कुछ भी सुनने जा रहे हैं उसमें मेरा कुछ नहीं है , यह लोक की थाती है - शताब्दियों से चली आ रही जिसके एक अणु मात्र से भी छोटे हिस्से के रूप में खुद को संबद्ध देखकर इतराने का मन करता है. ब्लाग पर तरह- तरह की दुनियायें खुली हैं - खुल रही हैं जो संगीत को सधे तरीके से प्रस्तुत करने के पुण्य कर्म में लगी हुई है.इन्ही में से एक ठिकाना है - 'इंडियन रागा' . यह गीत और चित्र वहीं से आभार सहित !
कबाड़ियों का हालचाल ठीक है.
आप बने रहें.
जी रौं लाख बरीस.
सदा आनंदा रहें यहि द्वारे .
होली पर बधाई - शुभम !
5 comments:
रंग और गुलाल का पर्व होली पर आपको मेरी तरफ से रंगीन बधाई । मस्ती से मनाइये होली पर्व
ई भईल होरी बढियां से ...
mast. aap khajana liye baithe hain..nahi sabko sunate rahte hain..
आत्मा तक गचगचा के झमाझम। होली शुभकामना।
mast!
shukriya maza dilwaane ke vaaste.
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