Sunday, June 14, 2009

कैसे कैसे पानी उर्फ़ नाम में ही सब कुछ रखा है

विएना में एक दर्शनीय स्थल है हुनडर्टवासेरहाउस.मशहूर ऑस्ट्रियाई शिल्पी, चित्रकार वास्तुविद फ़्राइडेन्सराइख़ स्टोवासेर का बनाया यह अपार्टमेन्ट ब्लॉक अपने आप में एक अजूबा है. इस इमारत के बारे में अगली पोस्ट में बतलाऊंगा.
पहले इस सनकी कलाकार के नाम के बारे में कुछ बताया जाए.



फ़्राइडेन्सराइख़ स्टोवासर के पूर्वज स्लोवाक थे. स्लोवाक भाषा में 'स्टो' का अर्थ होता है एक सौ. जर्मन शब्द वासेर का अर्थ पानी. अब चूंकि ये साहब ऑस्ट्रिया में बस गए थे इन्हें यह नाम भाया नहीं. सो स्लोवाक स्टो को बदल कर जर्मन शब्द लगा लिया और बन गए फ़्राइडेन्सराइख़ हुनडर्टवासेर. फ़्राइडेन्सराइख़ शब्द के दो अर्थ होते हैं: शान्ति का देश या शान्तिप्रिय. तो उनके नाम का अर्थ हुआ: सौ पानी वाला शान्ति देश.

अधिकांश भारत की तरह हमारे कुमाऊं गढ़वाल के गांवों में भी पानी अपनी दुर्लभता के कारण बहुत बड़ी नेमत हुआ करता था. मध्य हिमालय में रहने वाली शौका जनजाति के घरों में तो सबसे पहले पानी की देवी न्युंगटांग की आराधना करने का रिवाज़ है.

तो साहब जब मैंने हुनडर्टवासेरहाउस के दर्शन पहली बार किए थे तभी से 'सौ पानी' नामक इस कलाकार के प्रति विचित्र सा अनुराग जाग्रत हुआ क्योंकि मेरे इलाके में बहुत सारी जगहों के नाम 'पानी' से समाप्त होते हैं. कुमाऊं गढ़वाल में मौजूद जो जो जगहें अभी याद आ रही हैं उनकी पूरी सूची बनाने की कोशिश करता हूं:



1 गरमपानी
2 पहाड़पानी
3 सोनापानी
4 सेनापानी
5 चोरपानी
6 डीनापानी
7 बुंगापानी
8 कालापानी
9 गच्चूपानी
10 तिमलापानी
11 तीनपानी
12 डांडापानी
13 भुम्कापानी
13 तोलापानी
14 पीपलपानी

... फ़िलहाल इतना ही. आप लोग इस लिस्ट को बड़ा बनाने में सहयोग देंगे तो आनन्द रहेगा. ज़रूरी नहीं कि ये नाम उत्तराखण्ड से ही हों. बस ज़रा लोकेशन वगैरह बता पाएंगे तो बेहतर.

(फ़ोटो: ऊपर हुनडर्टवासेरहाउस, नीचे दिल्ली से रानीखेत और अल्मोड़ा को जाने वाले रास्ते में एक पड़ाव जहां के सन्नाटेदार रायते का ज़िक्र कई ट्रैवेलॉग्स के अलावा मनोहर श्याम जोशी और शिवानी के गद्य में बिखरा पड़ा है. हुनडर्टवासेरहाउस पर एक पोस्ट कल देखिए.)

9 comments:

sanjay vyas said...

पश्चिमी राजस्थान के सीमान्त इलाके में कुए(तला),सरोवर(सर) और इसी अर्थ को ध्वनित करता'पार' गाँवों के नाम के साथ बहुतायत में मिल जाता है, साथ ही किसी ने प्याऊ बनवाई हो तो उसके नाम के साथ गान का नाम भी आम है.
सरूपे का तला
रामसर
बाखासर
खेत सिंह की प्याऊ
अजासर
हाथी तला
दुगेरों का तला
मीठे का पार
देरासर
सूची असमाप्त है...और बहुत लम्बी है.

sanjay vyas said...

'गान' को 'गाँव' पढ़े.

RAJNISH PARIHAR said...

इस सूची में तो बहुत से नाम आ जायेंगे...लेकिन आप ने इतने मुश्किल शब्दों को लिखा कैसे?

ओम आर्य said...

khubsoorat ...........

मुनीश ( munish ) said...

हिमाचल में शिमला से आगे गर्म पानी के चश्मे हैं . जगह का नाम है --तत्तापानी . पंजाबी में तत्ता यानी गर्म . जिस प्रकार उत्तराखंड यू. पी.के चंगुल से छूटा ,वैसे ही हिमाचल पंजाब के किन्तु शिमला तक पंजाबियत ही छाई है . आपके राज्य में भैरों घाटी से आगे नीला पानी भी है पर सिविलियनों के लिए बंद बताते हैं .बहरहाल पानी पीजे छान के और यारी कीजे जान के .

Ashok Pande said...

एक पानी और याद आया भीड़ापानी.

mahesh said...

मंगलेश डबराल जी के गांव 'काफ़लपानी'को कैसे भूल गये जनाब.

mahesh said...

मंगलेश डबराल जी के गांव 'काफ़लपानी'को कैसे भूल गये जनाब.

preeti said...

पाताल पानी में एक सुंदर झरना है. यह मध्य प्रदेश में इन्दौर - खंडवा रेल मार्ग पर स्थित है. ट्रेन का ठहराव पाताल पानी स्टेशन ही है.