Sunday, June 14, 2009

रतनपुर की कुछ तस्वीरें

इस बार कई सालों के बाद रतनपुर (छतीसगढ़) जाना हो सका .
प्रस्तुत हैं वहाँ ली गईं कुछ तस्वीरें


छूटी पढ़ाई - लिखाई - खेल
देखो बच्चा बेच रहा है बेल


थोड़ा यथार्थ - थोड़ी माया
जल में देवस्थल की छाया
ऊँचाई -ऊपर से ही शहर
दीखता है भला - सुन्दर

ऊपर शिखर पर ईश्वर
नीचे मनुष्यों का घर

सड़क के किनारे की सूनी दुकान
ग्राहक देवता ! आ जाओ सिरीमान

8 comments:

Gyan Darpan said...

तस्वीरों में बेल के फल देख मुंह में पानी आ गया | बहुत सुन्दर तस्वीरें !

राजकुमार ग्वालानी said...

अपना छत्तीसगढ़ है ही सुंदर तो उसकी तस्वीरें कैसे सुंदर नहीं होंगी। छत्तीसगढ़ में रतनपुर जैसे जितने भी देव स्थल हैं सब देखने लायक और वहां के नजारे अपने कैमरे में कैद करने लायक ही है। आपके कैमरे की पारखी नजरों से काफी सुंदर तस्वीरें ली हैं। छत्तीसगढ़ की यात्रा में कुछ और तस्वीरें आपने जरूर अपने कैमरे में कैद की होंगी उनको भी जरूर हम सबके साथ बांटने की कोशिश करें। इंतजार रहेगा।

मुनीश ( munish ) said...

A shop sans customers, temple sans devotees and boy selling fruit! i think it doesn't make a very happy combination.The road ,however, looks good and indicates a brighter future .
In the encyclopedia of Indian herbs Bel stands at number 1 on the basis of its tremendous healing power. .Blessed are those who eat Bel for they will escape the fangs of a doctor! Bel sure has miraculous medicinal properties ,but should not be consumed during month of Ashadh .

मुनीश ( munish ) said...

Unfortunate are those who can ,but don't drink a glass or two of sharbat Bel . World's every problem be it economical,political or religious has its roots in human-stomach. The root cause is stomach-disorder among the high and mighty who run the affairs of world.As per a secret report of WHO , they either have indigestion or pass too much of stool that they are forever hungry, longing to eat more n more and so can't focus on the job. Bel, my dear ones , holds the key for it cures every stomach disease under the Sun. The sooner the world realises the boon of Bel the better it would be. It is the CURE , the solution, the road to salvation. Amen.

Anil Pusadkar said...

रतनपुर की महामाया के दर्शन के लिये साल भर भक्त जाते है और नवरात्रि मे तो घण्टो लाईन मे लगना पड़ता है।यंही करीब ही मराठा राजा का बनाया हुआ श्रीराम का मंदिर है जिसमे दुर्लभ अजानबाहू प्रतिमा स्थापित है।रतनपुर छत्तीसगढ की राजधानी हुआ करती थी जिसे हटाकर मराठों ने रायपुर को राजधानी बना दिया था। अच्छे चित्र हैं।

Ashok Pande said...

बढ़िया फ़ोटू और काव्यात्मक शीर्षक! वाह जनाब!

मुनीश ( munish ) said...

जानकारी का धन्यवाद अनिल जी . ''आजानुबाहु'' --मान्यता है ऐसे पुरुष योगी अथवा राजा होते हैं . राम, बुद्ध एवम गांधी जी आजानुबाहु बताये जाते हैं . आजकल अमरीका के सुप्रसिद्ध तैराक फेल्प्स आजानुबाहु हैं ,देखें वे क्या करते हैं ! अमृतमय व सर्वगुन्संपन्न फल बेल के सुन्दर चित्रों की ये छटा अतुल्य है . एक बार इस फल ने मेरे प्राण बचाए थे .

P.N. Subramanian said...

लगभग १०/११ वीं सदी से ही रतनपुर कलचुरियों की राजधानी रही. इसलिए वहां बड़ी मात्रा में पुरा सामग्री बिखरी पड़ी है.. तालाब के किनारे जो मंदिर दिख रहे हैं संभवतः जैन मंदिर थे. आज से ४० वर्ष पूर्व तक महामाया मंदिर का वो इलाका एकदम वीरान था और खँडहर बना हुआ था. मूलतः महामाया का मंदिर भी कोई जिनालय ही था. वहां के खम्बो में तीर्थंकरों को बैठे हुए दर्शाया गया था. भला हो जनता का जिसने उस मंदिर परिसर का पुनरुद्धार किया और अब शक्ति पीठ कहला रहा है. हमारी यादें ताज़ी कर दिन. आभार.